प्रसून जोशी: भावनाओं को शब्द देने वाले गीतकार का सफर

मुंबई, 15 सितंबर (आईएएनएस)। हिंदी सिनेमा में कुछ गाने सिर्फ सुनने के लिए नहीं होते, बल्कि महसूस करने के लिए होते हैं। ये गाने सीधे दिल में उतर जाते हैं। प्रसून जोशी एक ऐसे ही गीतकार हैं जिनकी कलम ने न जाने कितने ही दिल छू लेने वाले गीत लिखे हैं।

16 सितंबर 1971 को जन्मे प्रसून जोशी भारतीय विज्ञापन जगत, कविता, गीत लेखन और पटकथा लेखन की दुनिया का एक बड़ा नाम हैं। वे एक प्रसिद्ध कवि, लेखक, गीतकार और विचारक होने के साथ-साथ विज्ञापन उद्योग में भी अपनी अलग पहचान बना चुके हैं।

'तारे जमीन पर,' 'रंग दे बसंती,' 'गजनी' और 'भाग मिल्खा भाग' जैसी फिल्मों के लिए लिखे उनके गाने आज भी दर्शकों के दिलों में बसे हुए हैं। अपनी गहरी संवेदनशीलता और प्रभावशाली लेखन शैली के लिए उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं। प्रसून को 2015 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इन दिनों वो सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन के चेयरमैन भी हैं।

वैसे तो प्रसून जोशी के लिखे गीत हर दिल अजीज होते हैं, लेकिन फिल्म 'तारे जमीन पर' का उनका लिखा गाना 'मां' एक ऐसा गीत है, जिसने न केवल करोड़ों लोगों को रुलाया, बल्कि इसे लिखते समय खुद प्रसून जोशी की आंखें भी नम हो गई थीं।

प्रसून जोशी ने अपने एक इंटरव्यू में इस किस्से को साझा किया था। वह बताते हैं, जब अभिनेता आमिर खान ने उन्हें यह गाना लिखने को कहा, तो उन्होंने एक ऐसे बच्चे के दर्द को महसूस करने की कोशिश की, जो अपनी मां से दूर है। गाना लिखते-लिखते, वह अपने ही बचपन की यादों में खो गए।

उन्हें याद आया कि कैसे जब वह छोटे थे और किसी भी डर से घिर जाते थे, तो उनकी आंखें अनजाने में अपनी मां को ढूंढने लगती थीं। उन्हें पता था कि चाहे कोई भी डर हो, उनकी मां ही उन्हें उस डर से निकाल सकती हैं। उन्होंने इसी भावना को गाने के शब्दों में पिरोया- "मैं कभी बतलाता नहीं, पर अंधेरे से डरता हूं मैं मां... यूं तो मैं दिखलाता नहीं, पर तेरी परवाह करता हूं मैं मां... तुझे सब है पता, है ना मां?"

जब प्रसून जोशी ये बोल लिख रहे थे, तो वह अपने भीतर की भावनाओं को रोक नहीं पाए। यह गाना सिर्फ एक काम नहीं था, बल्कि अपनी मां के प्रति उन भावनाओं को व्यक्त करने का एक जरिया था, जिन्हें वह कभी शब्दों में नहीं कह पाए थे।

गाना रिलीज होने के बाद काफी हिट हुआ, लोग आज भी रील्स में इस गाने को अपनी मां को शेयर करते दिखते हैं। यह गाना हर उस इंसान से जुड़ा जो अपनी मां से दूर है या जो अपनी मां को अपनी ढाल मानता है। प्रसून जोशी के लिए, यह गाना सिर्फ एक गीत नहीं था, बल्कि अपनी मां को एक ट्रिब्यूट था।

--आईएएनएस

जेपी/डीएससी

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