नई दिल्ली, 15 नवंबर (आईएएनएस)। साल 1993 में सिनेमाघरों में एक ऐसी फिल्म रिलीज हुई, जिसकी बदौलत मीनाक्षी शेषाद्री को बॉलीवुड का चमकता सितारा बना दिया। फिल्म थी 'दामिनी'। आज की जन्मदिन विशेष सीरीज में हम मीनाक्षी शेषाद्री से जुड़ी कुछ बातें बताएंगे।
फिल्म के एक दृश्य में जब दामिनी (मीनाक्षी) न्याय के लिए लड़ते-लड़ते थक जाती हैं और कोर्टरूम में जज के सामने खड़ी होकर अपनी हताशा को चीख में बदल देती है तो दर्शक हक्का-बक्का रह जाते हैं।
उस एक सीन में मीनाक्षी ने जो आक्रोश, लाचारी और बेबाकी भरी थी, वह आज भी हिंदी सिनेमा के सबसे यादगार सीन में गिना जाता है। इस फिल्म के बाद मीनाक्षी की पहचान सिर्फ उनकी खूबसूरती या नृत्य कला से नहीं, बल्कि उनकी दमदार अभिनय क्षमता से होने लगी।
फिल्म 'दामिनी' एक ऐसा मील का पत्थर साबित हुई, जिसने उन्हें करियर की बुलंदियों पर पहुंचा दिया, लेकिन महज दो साल बाद उन्होंने एक चौंकाने वाला निर्णय लिया, जिसने पूरी फिल्म इंडस्ट्री को हैरान कर दिया। उन्होंने अपने फिल्मी करियर को अलविदा कह दिया।
मीनाक्षी शेषाद्रि का असली नाम शशिकला शेषाद्री है। उनका जन्म 16 नवंबर 1963 को सिंदरी, बिहार (वर्तमान झारखंड) में हुआ था। मीनाक्षी का बचपन कला और संस्कृति के बीच बीता। वह एक निपुण शास्त्रीय नृत्यांगना थीं। उन्होंने भरतनाट्यम, कथक, कुचिपुड़ी और ओडिसी शास्त्रीय नृत्यों में विशेषज्ञता हासिल की।
जब वह महज 17 साल की थीं, तो उन्होंने कुछ ऐसा किया जिसने उनकी जिंदगी का रुख हमेशा के लिए बदल दिया। साल 1981 में मीनाक्षी ने 'मिस इंडिया' का खिताब जीता।
इस जीत ने उन्हें एकाएक राष्ट्रीय मंच पर ला खड़ा किया। एक नृत्यांगना, जिसने अपनी अदा और प्रतिभा से सौंदर्य प्रतियोगिता जीती थी, अब बॉलीवुड की नजरों में आ चुकी थी। सुभाष घई जैसे दूरदर्शी फिल्मकार की नजर उन पर पड़ गई। हालांकि मीनाक्षी की पहली फिल्म 'पेंटर बाबू' (1983) थी, जो कुछ खास नहीं चली, लेकिन उसी साल आई सुभाष घई की एपिक रोमांटिक ड्रामा 'हीरो' ने मीनाक्षी की किस्मत का ताला खोल दिया।
जैकी श्रॉफ के साथ उनकी जोड़ी ने युवाओं के बीच जबरदस्त लोकप्रियता हासिल की। जहां जैकी 'स्टार' के रूप में उभरे, वहीं मीनाक्षी ने अपनी मासूमियत और नृत्य कला से लाखों दिलों पर राज किया। 'हीरो' की सफलता ने मीनाक्षी के लिए बड़े फिल्म निर्माताओं के दरवाजे खोल दिए।
अगले एक दशक तक, मीनाक्षी शेषाद्री ने उस दौर के हर बड़े सितारे के साथ काम किया। अमिताभ बच्चन के साथ 'शहंशाह,' अनिल कपूर के साथ 'मेरी जंग,' सनी देओल के साथ 'घायल' और फिर कालजयी फिल्म 'दामिनी।'
मीनाक्षी की सबसे बड़ी खूबी यह थी कि वह ग्लैमर और एक्टिंग के बीच शानदार संतुलन बनाती थीं। एक तरफ उन्होंने 'हीरो' में अपनी खूबसूरती का जादू बिखेरा, तो दूसरी तरफ फिल्म 'घायल' में भाभी के रोल को बेहद सहजता से निभाया। उन्हें अपनी भूमिकाओं में नृत्य और भावनात्मक गहराई का सही मिश्रण करने के लिए जाना जाता था।
1995 तक उनका करियर आसमान छू रहा था। मीनाक्षी उस समय बॉलीवुड की सबसे ज्यादा डिमांड वाली अभिनेत्रियों में से एक थीं। फिल्म दामिनी के बाद उन्होंने एक निजी समारोह में इन्वेस्टमेंट बैंकर हरीश मैसूर से शादी कर ली।
मीनाक्षी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्हें हमेशा से ही एक निजी और शांत जीवन पसंद था, जो शोहरत और स्टारडम के शोर से दूर हो। शादी के बाद उन्होंने न्यूयॉर्क में बसने का फैसला किया और भारतीय सिनेमा की दुनिया को अलविदा कह दिया।
आज मीनाक्षी शेषाद्री अमेरिका के टेक्सास में रहती हैं। उन्होंने वहां भारतीय शास्त्रीय नृत्यों के प्रचार-प्रसार के लिए अपना डांस स्कूल, 'चार्म्स् डांस अकादमी' शुरू किया। वह अब एक स्टार नहीं, बल्कि एक कोच हैं, जो भारतीय संस्कृति की धरोहर नई पीढ़ी को सौंप रही हैं।
बीते कुछ सालों में, उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए अपने फैंस के साथ थोड़ी बातचीत शुरू की है, जिससे उनके चाहने वालों को उनकी झलक मिल जाती है।
'दामिनी' में न्याय के लिए आवाज उठाती 'दामिनी' हो, या 'हीरो' की राधा, मीनाक्षी शेषाद्री ने अपने हर किरदार में एक अमिट छाप छोड़ी है। उन्होंने सिखाया कि शिखर पर पहुंचना महत्वपूर्ण है, लेकिन शिखर से उतरकर अपनी खुशी की राह चुनना उससे भी बड़ी बहादुरी है।
--आईएएनएस
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