Karishma Tanna Stray Dogs Post: सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर छलका करिश्मा तन्ना का दर्द, कहा- 'कुत्तों को गली से हटाना उनकी पूरी दुनिया छीनना है'

करिश्मा तन्ना-जॉन अब्राहम ने स्ट्रीट डॉग्स पर सुप्रीम कोर्ट आदेश पर दी प्रतिक्रिया।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर छलका करिश्मा तन्ना का दर्द, कहा- 'कुत्तों को गली से हटाना उनकी पूरी दुनिया छीनना है'

मुंबई: दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को शेल्टर होम में भेजने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद देशभर में बहस तेज हो गई है। आम जनता के साथ-साथ कई सेलेब्रिटीज भी इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर गुस्सा, चिंता और भावनात्मक प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। टीवी और फिल्म जगत की जानी-मानी एक्ट्रेस करिश्मा तन्ना ने भी इस मामले में अपनी संवेदनाएं जाहिर करते हुए सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा किया।

करिश्मा तन्ना ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट में एक स्ट्रीट डॉग की फोटो साझा की और ऊपर लिखा, "जब आप एक कुत्ते को उसकी गली से हटा देते हैं, तो आप सिर्फ एक जानवर नहीं, बल्कि उसकी पूरी दुनिया उससे छीन लेते हैं।"

उन्होंने आगे लिखा, "वो गली उसका घर है, वो चायवाला उसका दोस्त है, वो स्ट्रीट लाइट उसकी छत है। वे कुछ नहीं मांगते, बस उस दुनिया में जीने का हक जिसमें वे पले-बढ़े हैं। अगर हम उनकी रक्षा नहीं कर सकते, तो हम इंसानियत तो दिखा ही सकते हैं, लेकिन अफसोस हम उसमें भी असफल हो रहे हैं।"

वहीं मंगलवार को एक्टर जॉन अब्राहम ने इस फैसले से संबंधित प्रधान न्यायाधीश बी.आर. गवई को पत्र लिखा था और निर्देश की समीक्षा करने, साथ ही इसमें संशोधन का आग्रह किया था। उन्होंने पत्र के जरिए कहा कि कुत्ते आवारा नहीं हैं, बल्कि समुदाय का हिस्सा हैं और बहुत से लोग उन्हें प्यार करते हैं।

उन्होंने लिखा, 'मुझे उम्मीद है कि आप इस बात से सहमत होंगे कि ये आवारा नहीं, बल्कि सामुदायिक कुत्ते हैं, जिनका कई लोग सम्मान करते हैं, उन्हें बेजुबानों को खिलाते-पिलाते और उन्हें प्यार करते हैं। खासकर दिल्ली के लोग जो उन्हें आवारा कुत्ते नहीं बल्कि सोसायटी का हिस्सा समझते हैं।''

उन्होंने कहा कि यह निर्देश पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) नियम, 2023 और इस मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय के पिछले फैसलों के बिल्कुल उल्टा है। अभिनेता का मानना है, 'एबीसी नियम के अनुसार कुत्तों को किसी शेल्टर होम में नहीं रखते हैं। इसके बजाय उनकी नसबंदी और टीकाकरण करने के बाद उन्हें उन्हीं इलाकों में वापस छोड़ देते हैं जहां वे रहते हैं, जहां एबीसी के नियम को ईमानदारी से लागू किया जाता है।' साथ ही यह भी बताया कि जयपुर और लखनऊ जैसे शहरों में भी यही नियम अपनाया गया है।

 

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