कुमारी नाज जयंती: याद है न 'नन्हें मुन्ने बच्चे' वाली बेलू! जो बाद में बनी श्रीदेवी की आवाज

मुंबई, 19 अगस्त (आईएएनएस)। भारतीय सिनेमा की कहानी में कुछ कलाकार ऐसे होते हैं, जिनकी पहचान बाल कलाकार के रूप में शुरू होकर एक खास भूमिका की वजह से आज भी याद की जाती है। कुमारी नाज, जिनका असली नाम सलमा बेग था, इन्हीं में से एक हैं।

20 अगस्त 1944 को मुंबई में जन्मी नाज ने बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट फिल्मी दुनिया में कदम रखा। महज चार साल की थीं, लेकिन पर्दे पर अदाकारी ऐसी की पूरे एक दशक तक बेबी नाज ने हिंदी सिने जगत की टॉप बाल कलाकार के तौर पर राज किया।

आर्थिक तंगी की वजह से उनकी मां ने उन्हें बहुत कम उम्र में ही फिल्मों में काम के लिए भेज दिया। 1954 में आरके. फिल्म्स की 'बूट पॉलिश' में उनकी भूमिका ने उन्हें खास पहचान दिलाई। इस फिल्म में उन्होंने एक अनाथ लड़की की भूमिका निभाई, जिसे दर्शकों ने दिल खोलकर सराहा। कौन भूल सकता है आत्मविश्वास से लबरेज एक बाल कलाकार का झूम कर गाना 'मुट्ठी में है तकदीर हमारी, हमने किस्मत को बस में किया है'। फिल्म इतनी बड़ी थी कि उन्हें और उनके सह-अभिनेता रतन कुमार को कांस फिल्म फेस्टिवल में विशेष सम्मान भी मिला।

बेबी नाज ने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण फिल्मों में काम किया। 'देवदास', 'मुसाफिर', 'गंगा जमुना', और 'कागज के फूल' जैसी फिल्मों में उनके अभिनय को आज भी याद किया जाता है। इसके अलावा, एक खास भूमिका ने उन्हें हिंदी सिनेमा प्रेमियों के दिल में हमेशा के लिए जगह दी। वह भूमिका थी राजेश खन्ना की बहन की फिल्म 'सच्चा झूठा' में। इस फिल्म में उन्होंने दिव्यांग बहन की भूमिका निभाई, जिसे देखने के बाद दर्शक उनकी तारीफ किए बिना नहीं रह पाए। उनका किरदार न केवल प्रभावशाली था, बल्कि उनकी मासूमियत और संवेदनशीलता ने सभी को भावुक कर दिया। इस भूमिका के कारण उन्हें 'प्यारी बहन' के रूप में याद किया जाता है।

कुमारी नाज ने अपने करियर में न केवल अभिनय किया, बल्कि डबिंग कलाकार के रूप में भी अपनी खास पहचान बनाई। 1970 के दशक में उन्होंने दक्षिण भारतीय अभिनेत्री श्रीदेवी की हिंदी फिल्मों में आवाज दी, जिनमें 'हिम्मतवाला', 'तोहफा', और 'मवाली' में उनकी आवाज को कई लोगों ने सराहा।

बचपन जितना संघर्ष से भरा था, वहीं बाद का जीवन पति और बच्चों के साथ अच्छा बीता। उन्होंने अभिनेता सुबिराज से शादी की, जो ग्रेट शो शोमैन राज कपूर के परिवार से जुड़े थे। शादी के बाद उन्होंने हिंदू धर्म अपनाया और 'अनुराधा' नाम रखा। बावजूद इसके, दर्शक उन्हें हमेशा 'नाज' कहकर ही बुलाते रहे। वैवाहिक जीवन खुशहाल था, और उनके दो बच्चे हुए। लेकिन बाद में उन्हें लीवर की गंभीर बीमारी हो गई, जिससे उनका निधन हो गया।

--आईएएनएस

पीके/केआर

Related posts

Loading...

More from author

Loading...