जाकिर हुसैन: पद्मश्री से ग्रैमी विजेता तक, फ्यूजन म्यूजिक के पितामह ने सबको किया मोहित

नई दिल्ली, 14 दिसंबर (आईएएनएस)। सबसे कम उम्र में 'पद्मश्री' और रविशंकर से 'उस्ताद' की उपाधि पाने वाले महान तबला वादक जाकिर हुसैन भले ही अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन तबले पर उनकी कमाल की धुन आज भी लोगों के बीच जिंदा है। संगीत के अलावा अभिनय की दुनिया में भी उन्होंने अपनी कला का प्रदर्शन किया।

जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई में हुआ था। वे महान तबला वादक उस्ताद अल्लाह रक्खा खान के पुत्र थे। मात्र सात वर्ष की आयु में उन्होंने तबला वादन शुरू किया और 12 साल की उम्र में पहला सार्वजनिक प्रदर्शन दिया। पिता से मिली विरासत को उन्होंने नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उनकी उंगलियों की जादूगरी ने तबला को एक लय वाद्य से भावनाओं की गहन अभिव्यक्ति का माध्यम बना दिया।

उनकी संगीत यात्रा में फ्यूजन म्यूजिक का महत्वपूर्ण योगदान रहा। 1973 में उन्होंने गिटार वादक जॉन मैक्लॉफलिन के साथ बैंड 'शक्ति' बनाया, जिसमें भारतीय शास्त्रीय संगीत को जैज और वेस्टर्न स्टाइल के साथ जोड़ा गया। यह बैंड विश्व संगीत में क्रांति लाया। जाकिर हुसैन ने यो-यो मा, बेला फ्लेक, मिकी हार्ट, जॉर्ज हैरिसन और हर्बी हैनकॉक जैसे दिग्गजों के साथ सहयोग किया। फिल्म संगीत में भी उनकी सक्रियता रही। 'अपोकैलिप्स नाउ,' 'हीट एंड डस्ट,' और 'द लास्ट टेम्पटेशन ऑफ क्राइस्ट' जैसी फिल्मों में उनका योगदान अविस्मरणीय है।

उन्हें चार ग्रैमी अवॉर्ड मिले। 2024 में ही उन्हें तीन ग्रैमी मिले थे। इसमें 'पश्तो' एल्बम के लिए बेस्ट ग्लोबल म्यूजिक परफॉर्मेंस, 'दिस मोमेंट' के साथ बेस्ट ग्लोबल म्यूजिक एल्बम और 'अस वी स्पीक' के लिए बेस्ट कंटेम्पररी इंस्ट्रुमेंटल एल्बम शामिल हैं। भारत सरकार ने उन्हें पद्म श्री (1988), पद्म भूषण (2002) और पद्म विभूषण (2023) से सम्मानित किया। संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड, संगीत रिसर्च अकादमी अवॉर्ड और कई अंतरराष्ट्रीय सम्मान उनके नाम रहे।

उन्होंने अभिनय में भी खुद को आजमाया था। उन्होंने फिल्म 'हीट एंड डस्ट' (1983) से अभिनय में अपने करियर की शुरुआत की थी और एक मकान मालिक का किरदार निभाया था। इसके बाद ‘साज’ (1998) में उन्होंने शबाना आजमी के साथ काम किया था। हुसैन फिल्म ‘द परफेक्ट मर्डर’ (1988) में भी नजर आए थे।

हुसैन को उनके आकर्षक लुक की वजह से काफी पसंद किया जाता था। 'बावर्ची', 'सत्यम शिवम सुंदरम', 'हीर-रांझा' जैसी फिल्मों के संगीत में भी उन्होंने अपना जादू चलाया। जीवन के अंतिम दिनों में भी वे बड़े पर्दे से जुड़े रहे और साल 2024 में रिलीज हुई देव पटेल की फिल्म ‘मंकी मैन’ में एक तबला वादक का रोल निभाया।

उस्ताद ने सैन फ्रांसिस्को में इलाज के दौरान 73 वर्ष की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया है। वे खतरनाक फेफड़े की बीमारी इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस से पीड़ित थे।

--आईएएनएस

एससीएच/एबीएम

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