'जुबली कुमार' को एक बात का ताउम्र रहा मलाल: ‘डिंपल’ और राजेश खन्ना से कनेक्शन

नई दिल्ली, 19 जुलाई (आईएएनएस)। हिंदी सिनेमा के सुनहरे दौर में एक ऐसा नाम, जिसने अपनी अदाकारी और फिल्मों की जुबली सफलता से दर्शकों के दिलों पर राज किया, वो थे ‘जुबली कुमार’ यानी राजेंद्र कुमार। मायानगरी में उन्होंने खूब संघर्ष किया और इंडस्ट्री के 'जुबली कुमार' बन गए। 30 साल की उम्र तक कुमार स्टारडम की बुलंदियों पर पहुंच गए थे। हालांकि, जिंदगी के आखिरी दम तक उन्हें एक बात का अफसोस रहा... जिसका कनेक्शन ‘डिंपल’ और राजेश खन्ना से जुड़ा है। 20 जुलाई को उनकी जयंती है।

राजेंद्र कुमार की जिंदगी किसी प्रेरक फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं। मुंबई की चकाचौंध में कदम रखने वाले इस युवा के पास सिर्फ 50 रुपए थे, जो उन्होंने अपने पिता की दी हुई घड़ी बेचकर जुटाए थे। एक गीतकार की मदद से उन्हें फिल्म में काम मिला और डायरेक्टर एचएस रवैल के सहायक के तौर पर काम शुरू करते हुए उन्होंने सिनेमा की बारीकियां सीखीं। उनकी मेहनत और लगन का फल 'पतंगा' और 'जोगन' में मिला, जहां वह छोटे रोल में नजर आए। लेकिन, असली मुकाम 1957 में 'मदर इंडिया' में उनके छोटे से किरदार ने दिलवाया, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा।

साल 1959 में 'गूंज उठी शहनाई' ने राजेंद्र कुमार को बतौर लीड एक्टर पहली बार कामयाबी का स्वाद चखाया। इसके बाद 'धूल का फूल', 'मेरे महबूब', 'आई मिलन की बेला', 'संगम', 'आरजू' और 'सूरज' जैसी फिल्मों ने उन्हें स्टारडम की बुलंदियों पर पहुंचा दिया। उनकी फिल्में सिनेमाघरों में 25 हफ्तों तक चलती थीं, जिसके चलते फैन्स ने उन्हें ‘जुबली कुमार’ का खिताब दे दिया।

'जुबली कुमार' की जिंदगी का एक पहलू उनकी कामयाबी के शिखर को छूने की कहानी के साथ-साथ एक अनकहा अफसोस भी बयां करता है। यह कहानी है उनके पहले प्यारे घर ‘डिंपल’ की, जिसे बेचकर उन्होंने अनजाने में राजेश खन्ना को सुपरस्टारडम की राह पर ‘आशीर्वाद’ दे दिया। राजेंद्र कुमार की जिंदगी की चमक-दमक और उनकी फिल्मों की कामयाबी के बीच एक कहानी ऐसी है, जो उनके दिल में कांटे की तरह चुभती थी। उनकी जीवनी 'जुबली कुमार: द लाइफ एंड टाइम्स ऑफ ए सुपरस्टार' में इसका जिक्र है। 30 साल की उम्र में स्टारडम की ऊंचाइयों को छूने वाले राजेंद्र कुमार ने मेहनत की कमाई से एक खूबसूरत बंगला खरीदा था, जिसका नाम उन्होंने ‘डिंपल’ रखा। यह घर उनकी मेहनत और सपनों का प्रतीक था।

अपनी इस सफलता का जश्न मनाने के लिए उन्होंने एक चमचमाती इम्पाला कार भी खरीदी थी। लेकिन, जब उनकी आर्थिक स्थिति डगमगाई, तो मजबूरी में उन्हें यह प्यारा घर बेचना पड़ा। खरीदार थे उभरते सितारे राजेश खन्ना। यह बंगला इतनी मामूली कीमत पर बिका कि राजेंद्र कुमार को इस बात का मलाल जिंदगी भर रहा। राजेश खन्ना ने इस घर का नाम बदलकर ‘आशीर्वाद’ रखा और यहीं से उनकी जिंदगी में सुपरस्टारडम की सुनहरी लहर शुरू हुई।

'आनंद' और 'बावर्ची' जैसी फिल्मों की कामयाबी ने राजेश खन्ना को हिंदी सिनेमा का पहला सुपरस्टार बनाया और यह सब उस ‘डिंपल’ में हुआ, जिसे राजेंद्र कुमार ने छोड़ दिया था। किताब में जिक्र है कि जब राजेंद्र कुमार को यह बंगला छोड़ना पड़ा, तो वे पूरी रात रोए थे।

--आईएएनएस

एमटी/केआर

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