मुंबई, 20 जून (आईएएनएस)। दिबाकर बनर्जी का नाम सुनते ही दिमाग में अलग सोच और हटके फिल्मों की तस्वीर आ जाती है। वह उन फिल्ममेकर्स में से हैं जो रिस्क लेने से नहीं डरते, फिर चाहे वह 'एलएसडी 2' जैसी बोल्ड फिल्म हो या समाज पर कटाक्ष करने वाली फिल्म 'टीज' हो। अपने कामों से उन्होंने काफी सराहना बटोरी, लेकिन जहां तारीफें मिलती हैं, वहीं विवाद भी पीछे चला आता है। 'एलएसडी 2' को लेकर उन्होंने काफी सुर्खियां बटोरीं, लेकिन इससे भी बड़ा बवाल तब मचा, जब उन्होंने सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले को लेकर बयान दिया। उनके बयान से लोग भड़क उठे और सोशल मीडिया पर ट्रोल करते हुए जमकर खरी-खोटी सुनाने लगे। आखिर ऐसा क्या कहा था दिबाकर ने? चलिए आपको बताते हैं पूरा मामला।
सुशांत सिंह राजपूत की मौत को लेकर अपनी राय देते हुए दिबाकर ने कहा था कि लोगों को असल में सुशांत की मौत की परवाह नहीं थी, बल्कि उन्हें सिर्फ मसालेदार गॉसिप चाहिए था। उनका यह बयान सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ, जो फैंस को बिलकुल पसंद नहीं आया।
दरअसल, दिबाकर ने कहा था, 'जब सुशांत की मौत हुई तो उनकी मौत के कारण के बारे में न्यूज में बहुत कुछ चल रहा था। मुझे खुद को हर चीज से अलग करना पड़ा। मैं सब कुछ सुन रहा था, लेकिन किसी को यह कहते हुए नहीं सुन सका कि एक युवा एक्टर की मौत हो गई। मैंने आसपास किसी को भी उसके लिए शोक मनाते या रोते नहीं देखा। मैं बस यही देख पा रहा था कि लोग सिर्फ मसालेदार गपशप खोजने की कोशिश कर रहे थे। इसलिए, मुझे खुद को उस स्थिति से दूर रखना पड़ा। कोई यह नहीं कह रहा था कि 'हम सुशांत को मिस कर रहे हैं। कोई भी इस बारे में बात नहीं कर रहा था कि कैसे एक आउटसाइडर होने के बावजूद उन्होंने टीवी में एक्टिंग की और फिर फिल्मों में अपनी शुरुआत की। हर कोई बस साजिश के बारे में कयास लगा रहा था कि किसने सुशांत को ड्रग्स दिया, किसने उसकी हत्या की। वह शोक सभा कहां है? उनकी फिल्मों के प्रभाव की बातें कहां हैं? जो लोग उनसे प्यार करते थे, उन्हें उनकी फिल्मों की स्क्रीनिंग रखनी चाहिए थी और इस पर चर्चा करनी चाहिए थी।'
लोग दिबाकर के इस बयान से काफी नाराज हुए और उन्होंने उन्हें जमकर ट्रोल करना शुरू कर दिया। कई लोगों ने कहा कि यह बात कहकर दिबाकर ने भावनाओं को ठेस पहुंचाई है और ऐसे संवेदनशील मामले पर सोच-समझकर बात करनी चाहिए थी।
उनके करियर की बात करें तो 21 जून 1969 को नई दिल्ली में जन्मे दिबाकर बनर्जी जाने-माने भारतीय डायरेक्टर, प्रोड्यूसर और स्क्रीनराइटर हैं। फिल्मों में आने से पहले उन्होंने काफी समय तक विज्ञापन की दुनिया में काम किया। वह एक कॉपीराइटर थे और बड़े-बड़े ब्रैंड्स के लिए कमर्शियल्स बनाते थे। साल 2006 में उन्होंने पहली फिल्म 'खोसला का घोंसला' डायरेक्ट की, जिसमें अनुपम खेर और बोमन ईरानी जैसे दमदार कलाकार थे। इस फिल्म से दिबाकर ने यह साबित कर दिया कि वह सादगी से भी बड़ी बातें कह सकते हैं। इस फिल्म को लोगों ने खूब पसंद किया और साल 2007 में बेस्ट हिंदी फिल्म का नेशनल अवॉर्ड भी मिला।
इसके बाद उन्होंने 'ओए लकी! लकी ओए!' बनाई, जो 2009 में बेस्ट पॉपुलर फिल्म के नेशनल अवॉर्ड से नवाजी गई। फिर साल 2010 में आई उनकी तीसरी फिल्म 'लव सेक्स और धोखा', जो पूरी तरह डिजिटल कैमरे से शूट की गई थी। यह फिल्म लालच, मीडिया और टेक्नोलॉजी पर एक तीखा व्यंग्य थी। 2013 में उन्होंने 'शांघाई' नाम की एक पॉलिटिकल ड्रामा फिल्म बनाई और 'बॉम्बे टॉकीज' एंथोलॉजी प्रोजेक्ट का हिस्सा भी बने। साल 2014 में उन्होंने 'डिटेक्टिव ब्योमकेश बख्शी' डायरेक्ट की, जिसमें सुशांत सिंह राजपूत ने 1940 के दशक के एक नौसिखिए, लेकिन एक होशियार जासूस का रोल निभाया था। यह फिल्म दिबाकर बनर्जी प्रोडक्शन्स और यशराज फिल्म्स की पहली साथ में बनाई गई फिल्म थी।
2015 में दिबाकर ने 'तितली' फिल्म प्रोड्यूस की, जो एक हिंसक कार चोरों के परिवार की कहानी थी। 2018 में नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई 'लस्ट स्टोरीज' का वह हिस्सा रहे। इस प्रोजेक्ट में उनके साथ अनुराग कश्यप, जोया अख्तर और करण जौहर जैसे नामी डायरेक्टर भी शामिल थे। साल 2020 में उन्होंने 'घोस्ट स्टोरीज' बनाई, जिसमें डरावनी कहानियां शामिल थीं। इसके बाद 2021 में उनकी फिल्म 'संदीप और पिंकी फरार' आई, जिसे उन्होंने खुद लिखा, डायरेक्ट किया और प्रोड्यूस भी किया। यह फिल्म अमेज़न प्राइम वीडियो पर रिलीज़ हुई और लोगों से अच्छी प्रतिक्रिया मिली।
साल 2024 में उन्होंने अपनी चर्चित फिल्म 'लव सेक्स और धोखा' का सीक्वल बनाया, 'लव सेक्स और धोखा 2' (एलएसडी 2)। इस फिल्म में उन्होंने दिखाया कि डिजिटल दुनिया का बुरा असर हमारी जिंदगी पर कैसे पड़ रहा है, लेकिन यह फिल्म ज़्यादा चली नहीं और दर्शकों को खास पसंद नहीं आई। दिबाकर हर बार कुछ अलग और हटके दिखाने की कोशिश करते रहे।
--आईएएनएस
पीके