Amar Singh Chamkila Film : 'अमर सिंह चमकीला' को लेकर इंटरनेशनल एमी फेस्टिवल में बोले इम्तियाज अली, 'यह सिर्फ कहानी नहीं, कला और कलाकार का प्यार है'

इम्तियाज अली ने एमी नामांकन पर फिल्म की यात्रा और कला का भाव साझा किया
'अमर सिंह चमकीला' को लेकर इंटरनेशनल एमी फेस्टिवल में बोले इम्तियाज अली, 'यह सिर्फ कहानी नहीं, कला और कलाकार का प्यार है'

मुंबई: निर्देशक इम्तियाज अली की फिल्म 'अमर सिंह चमकीला' ने भारतीय सिनेमा के लिए एक बड़ा गौरव हासिल किया। इस फिल्म को इंटरनेशनल एमी अवार्ड्स में नामांकित किया गया। फिल्म को दो कैटेगरी, पहली बेस्ट एक्टर और दूसरी बेस्ट फिल्म के लिए नामांकित किया गया।

इस कड़ी में इम्तियाज अली और प्रोड्यूसर मोहित चौधरी ने 53वें इंटरनेशनल एमी वर्ल्ड टेलीविजन फेस्टिवल में हिस्सा लिया और पैनल चर्चा में अपनी फिल्म और अनुभवों के बारे में विस्तार से बात की।

इम्तियाज ने पैनल को बताया कि उनके लिए यह फिल्म सिर्फ एक कहानी नहीं है, बल्कि यह कला और कलाकार के बीच के प्यार को दिखाती है।

फिल्म बनाने के सफर के बारे में बात करते हुए इम्तियाज ने कहा, ''शुरू में हमें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। जब नेटफ्लिक्स ने फिल्म के निर्माण और रिलीज में मदद की, तो सारी समस्याएं दूर हो गईं। नेटफ्लिक्स ने फिल्म के विषय पर पूरा भरोसा जताया और इसे बनाने में आत्मविश्वास दिखाया। उनका समर्थन इतना मजबूत था कि हमने फिल्म को उसी तरह बनाया जैसा हम हमेशा चाहते थे। नेटफ्लिक्स की भूमिका असाधारण और अद्भुत रही।''

इम्तियाज ने आगे कहा, ''एक कलाकार और उसकी कला का रिश्ता वैसा ही होता है जैसे दो प्रेमियों के बीच होता है। कई बार कलाकार केवल पैसे, सफलता या शोहरत के लिए नहीं बल्कि अपनी कला के लिए काम करता है। यही भावना अमर सिंह चमकीला के किरदार में दिखती है। फिल्म में संदेश साफ है कि सच्चा कलाकार अपनी कला को जीता है, उसके लिए कुछ भी त्याग कर सकता है, और यही सबसे बड़ी प्रेरणा है।''

फिल्म की असली कहानी और अनुभव को और वास्तविक बनाने के लिए, इम्तियाज और टीम ने चमकीला की हत्या की जगह, मेहसांपुर, पर शूटिंग की। इम्तियाज ने बताया कि जब हम सभी उस जगह पहुंचे, तो 34 साल बाद भी सब कुछ वैसा ही था। घर, बाहर की जमीन, और वह जगह जहां चमकीला ने खाना खाया था, सब वैसा ही था। यह अनुभव फिल्म के लिए और भी सजीव और भावपूर्ण बन गया।

इम्तियाज ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, ''फिल्म के दौरान दिलजीत दोसांझ ने जिस जगह पर सीन शूट किया, वहां की वास्तविकता ने हमें अंदर तक प्रभावित किया। फिल्म केवल एक बायोपिक नहीं, बल्कि कला और कलाकार के बीच के अनकहे भावों की कहानी है। इस फिल्म के माध्यम से दर्शकों को यह दिखाने की कोशिश की गई कि कलाकार की प्रेरणा और जुनून केवल बाहरी सफलताओं के लिए नहीं होता, बल्कि अंदर से आने वाली भावनाओं और अपनी कला के प्रति प्यार के लिए होता है।''

--आईएएनएस

 

 

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