मुंबई, 1 अगस्त (आईएएनएस)। फिल्म 'अजेय: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ ए योगी' की रिलीज पर एक बार फिर संकट मंडरा रहा है। केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) ने फिल्म को सर्टिफिकेट देने से इनकार कर दिया है, जिसके खिलाफ निर्माताओं ने बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया है। मेकर्स का कहना है कि सीबीएफसी ने फिल्म देखे बिना ही प्रमाणन आवेदन खारिज कर दिया।
दरअसल, शुक्रवार को फिल्म के मेकर्स की तरफ से दाखिल की गई याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस नीला गोखले की पीठ ने सीबीएफसी से पूछा कि क्या वह बिना फिल्म, टीजर या ट्रेलर देखे प्रमाणन आवेदन खारिज कर सकता है।
कोर्ट ने यह भी सवाल उठाया कि जब फिल्म शांतनु गुप्ता की किताब 'द मॉन्क हू बिकेम चीफ मिनिस्टर' से प्रेरित है, जो आठ साल से सार्वजनिक डोमेन में है और जिस पर कोई आपत्ति नहीं दर्ज की गई, तो फिल्म को प्रमाणन क्यों नहीं दिया गया।
अदालत ने सीबीएफसी को नोटिस जारी किया और कहा, "अगर किताब पर कोई आपत्ति नहीं, तो उससे प्रेरित फिल्म सार्वजनिक व्यवस्था कैसे बिगाड़ सकती है?"
सीबीएफसी ने दलील दी कि उसने स्क्रिप्ट और डायलॉग के आधार पर फैसला लिया, और फिल्म देखना अनिवार्य नहीं है। इस पर जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और डॉ. नीला गोखले की खंडपीठ ने नाराजगी जताई, क्योंकि 17 जुलाई की सुनवाई में सीबीएफसी ने कहा था कि वह नियमों के अनुसार प्रमाणन पर फैसला लेगा, फिर भी फिल्म की स्क्रीनिंग नहीं की गई।
कोर्ट ने निर्माताओं की इस दलील पर गौर किया कि सीबीएफसी ने फिल्म देखे बिना ही केवल एक ईमेल भेजकर आवेदन खारिज कर दिया।
कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनी फिल्म पहले से ही सार्वजनिक डोमेन में है।
कोर्ट ने सीबीएफसी से सवाल किया कि क्या कोई नियम संवैधानिक पदों पर आसीन व्यक्तियों पर आधारित फिल्मों को प्रमाणन देने से रोकता है।
न्यायमूर्ति डेरे और गोखले की पीठ ने सीबीएफसी को कड़ा निर्देश देते हुए कहा कि आज ही स्पष्ट करे कि क्या वह फिल्म देखेगा या नहीं।
--आईएएनएस
एफएम/