नई दिल्ली, 19 जुलाई (आईएएनएस)। अभिनेता जैन दुर्रानी इन दिनों हाल ही में रिलीज हुई फिल्म 'आंखों की गुस्ताखियां' को लेकर चर्चा में हैं। इस बीच उन्होंने कहा कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में एक्टर होना ऐसा है, जैसे आप हर वक्त कोई प्रतियोगी परीक्षा दे रहे हों।
जैन दुर्रानी ने आईएएनएस से बात करते हुए बताया कि बॉलीवुड में जगह बनाना आसान नहीं था। उन्होंने कहा, "जब मैं इंडस्ट्री में आया, तो मुझे बार-बार रिजेक्ट किया गया। लेकिन, ऐसे रिजेक्शन को झेलकर ही मैंने धीरे-धीरे सीखा। एक एक्टर होना ऐसा है, जैसे आप हर समय किसी प्रतियोगी परीक्षा में बैठे हों। चाहे आपके पास काम हो या न हो, आपको हर बार खुद को साबित करना पड़ता है।"
उन्होंने आगे कहा, "एक्टर की जिंदगी में अक्सर ऐसा होता है कि कभी आपको किसी रोल के लिए बहुत अच्छा माना जाता है और कभी किसी रोल के लिए आपको पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया जाता है। ये सब झेलने के लिए आपको अंदर से मजबूत होना पड़ता है, लेकिन ये मजबूती इतनी भी नहीं आनी चाहिए कि आपकी भावनाएं और संवेदनशीलता ही खत्म हो जाए।"
जैन दुर्रानी ने कहा कि एक एक्टर में भावनाओं को समझने की क्षमता को सबसे बड़ी खूबी माना जाता है। अगर ये खत्म हो जाएं, तो अच्छा अभिनय करना मुश्किल हो जाता है।
जब जैन दुर्रानी से पूछा गया कि क्या उन्हें अपने सफर के दौरान कभी हार मानने का मन हुआ, तो उन्होंने कहा, "कोविड के दौरान एक समय ऐसा आया, जब मुझे अपने प्रोफेशन को लेकर कई तरह की भावनाएं महसूस हुईं। दिमाग में बहुत कुछ चल रहा था। लेकिन, फिर 'बेल बॉटम' फिल्म मिली, और उसी ने मुझे आगे बढ़ाए रखा और हौसला दिया।"
बॉलीवुड अब बदल रहा है। ओटीटी प्लेटफॉर्म्स आ गए हैं, नए जमाने के डायरेक्टर्स अलग तरह की कहानियां बनाने लगे हैं। इस पर जैन दुर्रानी ने कहा, ''बॉलीवुड अब पहले जैसा नहीं रहा, यहां नए-नए तरीके से फिल्में और वेब सीरीज बन रही हैं। मैं नए मौके और बदलती दुनिया में खुद को ढालना चाहता हूं। मैं अलग-अलग किरदार करके खुद को साबित करना चाहता हूं।''
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