Dileep Acquittal Case : कानूनी एक्शन लेंगे दिलीप, बोले- मेरे खिलाफ साजिश रची गई

दिलीप ने बरी होने के बाद साजिश का आरोप लगाया, केरल सरकार हाई कोर्ट जाएगी
केरल एक्ट्रेस असॉल्ट केस : कानूनी एक्शन लेंगे दिलीप, बोले- मेरे खिलाफ साजिश रची गई

कोच्चि: साल 2017 के चर्चित एक्ट्रेस अपहरण और हमले मामले में ट्रायल कोर्ट से बरी मलयालम एक्टर दिलीप ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि वह अब उन लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे, जिन्होंने उनके नाम को इस केस में जानबूझकर घसीटा।

वहीं केरल सरकार ने हाई कोर्ट में फैसले को चुनौती देने का फैसला किया है।

कोर्ट से बरी होने के फैसले के बाद तीखी प्रतिक्रिया देते हुए दिलीप ने कहा कि उनके नाम को इस केस में घसीटने के पीछे हुई बड़ी साजिश की वह जांच करवाएंगे।

उन्होंने आरोप लगाया कि जांच टीम ने मुख्यमंत्री को भी गुमराह किया और कुछ अधिकारियों ने अपने निजी फायदे के लिए उन्हें फंसाया है। कोर्ट के फैसले की प्रमाणित कॉपी मिलने के बाद वे आगे की कानूनी कार्रवाई करेंगे।

उन्होंने सीधे-सीधे अभिनेत्री मंजू वारियर (पूर्व पत्नी) पर इल्जाम लगाते हुए कहा कि मंजू ने ही उन्हें फंसाने की शुरुआत की थी। उन्होंने दरबार हॉल ग्राउंड में अम्मा (एसोसिएशन ऑफ मलयालम मूवी आर्टिस्ट्स) की मीटिंग में दिए गए उनके भाषण का जिक्र किया, जहां उन्होंने कहा था कि एक्ट्रेस पर हमले के पीछे की साजिश का पर्दाफाश होना चाहिए।

दिलीप ने दावा किया कि इस भाषण के तुरंत बाद ही उन्हें इस मामले में आरोपी बना दिया गया।

हालांकि, मंजू वारियर ने इन आरोपों पर कोई जवाब नहीं दिया है।

दिलीप के वकील बी. रमन पिल्लई ने भी आरोप लगाया कि एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने अभिनेता को फंसाने की साजिश रची थी। उन्होंने सीधे-सीधे एडीजीपी बी. संध्या का नाम लिया, जो जांच की देखरेख कर रही थीं, और कहा कि साजिश की पूरी अगुवाई इन्हीं ने की थी।

दिलीप ने यह भी दावा किया कि पुलिस के कुछ क्रिमिनल लोगों ने जेल के कैदियों के साथ मिलकर उनकी जिंदगी और करियर बर्बाद करने के इरादे से झूठी बातें बनाईं।

इस बीच, राज्य सरकार ने साफ कर दिया है कि वह ट्रायल कोर्ट के उस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील करेगी, जिसमें लगभग आठ साल की कानूनी कार्रवाई के बाद दिलीप को बरी कर दिया गया था।

वी.डी. सतीशन ने कहा कि साल 2017 में जब एक्ट्रेस पर हमला हुआ था, तब कांग्रेस विधायक पी.टी. थॉमस ने तुरंत पुलिस को सूचना दी और केस दर्ज कराने में अहम भूमिका निभाई। उनके दखल के बिना यह केस या तो दब जाता या इतना आगे कभी नहीं बढ़ पाता। पूर्व राज्य पुलिस प्रमुख टी.पी. सेनकुमार ने 2017 में ही स्पष्ट कर दिया था कि दिलीप के खिलाफ कोई ठोस या वैध सबूत नहीं था, इसलिए उन्हें आरोपी नहीं बनाया जाना चाहिए था।

अब कोर्ट के बरी फैसले के बाद उन्होंने दोहराया कि बिना सबूत के गिरफ्तारी और जांच गढ़ना गलत था, जो जांच प्रक्रिया पर सवाल उठाता है।

टी.पी. सेनकुमार ने कहा, “मामलों की जांच का यह सही तरीका नहीं है। क्या जांच इस तरह होनी चाहिए कि पहले किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर लो, फिर उसके खिलाफ सबूत बनाने की कोशिश करो और इसके लिए झूठी कहानियां तक गढ़ी जाएं।"

--आईएएनएस

 

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