बर्थडे स्पेशल : प्रतिभा, हिम्मत और अभिनय का जुनून, कुछ ऐसी ही है प्रियंका चोपड़ा की कहानी

मुंबई, 16 जुलाई (आईएएनएस)। सिनेमा की दुनिया में जब बात असली टैलेंट की होती है, तो प्रियंका चोपड़ा का नाम जरूर लिया जाता है। 'प्रियंका चोपड़ा' सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि मेहनत और जुनून की मिसाल का शानदार उदाहरण है। ग्लोबल स्टार के तौर पर जानी जाने वाली प्रियंका ने हर किरदार को दिल से निभाया। चाहे वह 'फैशन' की स्ट्रगल करने वाली मॉडल हो या 'मैरी कॉम' की दमदार बॉक्सर, '7 खून माफ' की रहस्यमयी महिला हो या 'क्वांटिको' की इंटरनेशनल एजेंट, उन्होंने हर बार साबित किया कि वह न केवल सिर्फ सुंदर हैं, बल्कि हुनरमंद भी हैं। आज वह बेहतरीन लाइफस्टाइल जी रही हैं, लेकिन इसके पीछे मेहनत, दर्द और हिम्मत की सच्ची कहानी छिपी है।

18 जुलाई 1982 को भारत के जमशेदपुर में जन्मीं प्रियंका ने अपनी आत्मकथा 'अनफिनिश्ड' में खुलासा किया कि उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में 'जेंडर बायस' और 'सेक्सिस्ट' ट्रीटमेंट झेला है। अपनी किताब में उन्होंने बताया कि एक बार जब वह किसी फिल्मकार से मिलीं, तो उसने उनसे घूमकर खुद को दिखाने के लिए कहा। जब प्रियंका ने ऐसा किया, तो उसने उन्हें घूरते हुए कहा कि उन्हें अपनी बॉडी में बदलाव कराने होंगे, जैसे ब्रेस्ट बढ़वाना, 'जॉ-लाइन' ठीक कराना और बट बढ़ाना। उसने कहा कि अगर वह एक्ट्रेस बनना चाहती हैं तो ये बदलाव जरूरी हैं, और उसने एक डॉक्टर का नाम भी दिया जो ये सब कर सकता है। ये सब सुनकर बहुत बुरा लगता है, लेकिन प्रियंका बताती हैं कि ऐसी बात करना फिल्म इंडस्ट्री में बेहद आम है, जिसे लोग सामान्य मान लेते हैं।

इंडस्ट्री में नई होने के बावजूद एक बार उन्होंने डायरेक्टर के गलत व्यवहार के चलते फिल्म छोड़ने की हिम्मत जुटाई थी। इस पर उन्होंने अपनी किताब में बताया कि निर्देशक ने उनके साथ बुरा व्यवहार किया था, जिसके चलते उन्होंने फिल्म बीच में ही छोड़ दी थी, लेकिन तब उन्होंने किसी को कोई कारण नहीं बताया, क्योंकि उस वक्त उन्हें डर था कि लोग उन पर ही उंगली उठाएंगे।

उन्होंने अपनी किताब में यह भी बताया कि कैसे इंडस्ट्री में कई बार हीरो के कहने पर स्क्रिप्ट बदल दी जाती थी। महिला किरदारों को हटा दिया जाता था।

प्रियंका ने इस मानसिकता के खिलाफ जाकर अपनी शर्तों पर फिल्में चुनीं, जैसे 'मैरी कॉम', जिसमें उन्होंने बिना किसी ग्लैमर के असली किरदार निभाया, और 'बर्फी,' जिसमें उन्होंने एक ऑटिज्म से पीड़ित लड़की का किरदार निभाया। दिलचस्प बात यह है कि इसमें उनका कोई डायलॉग नहीं था, लेकिन लोग आज भी उसे प्रियंका की बेस्ट परफॉर्मेंस मानते हैं।

प्रियंका चोपड़ा को बचपन से ही अभिनय और कला के प्रति ज्यादा लगाव था। उन्होंने 2000 में मिस वर्ल्ड का खिताब जीतकर देश-विदेश में अपनी पहचान बनाई। इसके बाद उन्होंने बॉलीवुड में कदम रखा और मेहनत के दम पर टॉप एक्ट्रेस बन गईं। प्रियंका ने एक्टिंग के साथ-साथ सिंगिंग, मॉडलिंग, और प्रोड्यूसिंग के तौर पर भी काम किया। उनका सफर शुरू हुआ जब वह सिर्फ 17 साल की थीं और मिस वर्ल्ड का खिताब जीतकर दुनिया के सामने आईं। यहीं से उनके अभिनय की कहानी भी शुरू होने लगी।

बॉलीवुड में उन्होंने कई जोखिम उठाए, जैसे फिल्म 'ऐतराज' में उन्होंने खलनायिका का किरदार निभाया और सबका दिल जीत लिया। उस दौर में हीरोइनें निगेटिव रोल करने से डरती थीं। उन्होंने 'अंदाज', 'मुझसे शादी करोगी?', 'कमीने', 'डॉन 2', 'अग्निपथ', 'बर्फी!', 'कृष 3', 'बाजीराव मस्तानी', 'डॉन 2', और 'द स्काई इज पिंक' जैसी शानदार फिल्में दी हैं।

बॉलीवुड के अलावा, प्रियंका ने हॉलीवुड में भी अपनी पहचान बनाई, खासकर टीवी शो 'क्वांटिको' में मुख्य भूमिका निभाकर। उन्होंने 'बेवॉच', 'इजंट इट रोमांटिक', 'द व्हाइट टाइगर', 'द मैट्रिक्स रिसरेक्शन्स', 'लव अगेन', 'द ब्लफ', और 'हेड्स ऑफ स्टेट' जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स में भी काम किया है।

प्रियंका चोपड़ा म्यूजिक में भी बेहद दिलचस्पी रखती हैं। प्रियंका को सिंगिंग की दुनिया में पहचान गाने 'इन माय सिटी' से मिली थी। इसके अलावा, उनके 'एक्जॉटिक' और 'आई कांट मेक यू लव मी' जैसे गानों को भी बेहद पसंद किया गया।

अवॉर्ड्स की बात करें तो प्रियंका के नाम कई फिल्मफेयर अवॉर्ड्स, राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और दो पीपुल्स च्वाइस अवॉर्ड शामिल हैं। 2016 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म श्री से नवाजा था।

--आईएएनएस

पीके/एएस

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