बर्थ डे स्पेशल: फिल्म इंडस्ट्री से अलग है करिश्मा और आफताब की कहानी, दोनों के बीच खून का नाता

मुंबई, 24 जून (आईएएनएस)। फिल्मों की दुनिया जितनी रंगीन होती है, वहां के रिश्ते भी उतने ही दिलचस्प होते हैं। पर्दे पर जो सितारे बिल्कुल अलग नजर आते हैं, असल जिंदगी में कभी-कभी वो रिश्तों की डोर से गहराई से जुड़े होते हैं। करिश्मा कपूर और आफताब शिवदासानी का रिश्ता भी कुछ ऐसा ही है। करिश्मा ने 90 में बतौर हिरोइन हिंदी सिने जगत में कदम रखा तो वहीं आफताब ने बाल कलाकार के तौर पर करियर शुरू किया। बहुत कम लोगों को पता होगा कि इन दोनों का रिश्ता सिर्फ फिल्म इंडस्ट्री का नहीं, बल्कि खून का भी है। दिलचस्प बात यह भी है कि दोनों अपना जन्मदिन 25 जून को मनाते हैं।

करिश्मा का जन्म 25 जून 1974 को मुंबई में हुआ था। वह अभिनेता रणधीर कपूर और बबीता की बेटी हैं। वहीं आफताब का जन्म मुंबई में 25 जून 1978 में हुआ। उनके पिता प्रेम शिवदासानी सिंधी और मां पुतली शिवदासानी ईरानी हैं। करिश्मा की मां बबीता शादी से पहले बबीता शिवदसानी थीं। उनके पिता हरि शिवदासानी के भतीजे थे आफताब के पापा, प्रेम शिवदासानी। इस रिश्ते से बबीता आफताब की बुआ लगती हैं और इस तरह आफताब, करिश्मा के ममेरे भाई हुए।

दोनों के करियर पर नजर डालें तो करिश्मा कपूर ने बॉलीवुड में करियर बनाने के लिए अपनी पढ़ाई भी बीच में ही छोड़ दी थी। उन्होंने महज 16 साल की उम्र में 'प्रेम कैदी' से करियर की शुरुआत की, जो साल 1991 में रिलीज हुई। फिर साल 1992 में दिग्गज एक्टर जैकी श्रॉफ के साथ फिल्म 'पुलिस ऑफिसर' में काम किया। 'जिगर' और 'अनाड़ी' जैसी फिल्मों ने एक अभिनेत्री के तौर पर उन्हें पहचान दिलाई। 1994 में 'राजा बाबू', 'खुद्दार', 'अंदाज अपना अपना' और 'सुहाग' जैसी फिल्मों से उनका करियर रफ्तार पकड़ने लगा।

90 के दशक में करिश्मा ने 'कुली नंबर 1', 'साजन चले ससुराल', 'हीरो नंबर 1' जैसी हिट कॉमेडी फिल्मों में गोविंदा के साथ सफल जोड़ी बनाई। 1996 की 'राजा हिंदुस्तानी' ने उन्हें सुपरस्टार बना दिया और उन्हें पहला फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला। 1997 की 'दिल तो पागल है' के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार मिला।

1999-2000 में 'बीवी नंबर 1', 'हम साथ साथ हैं', 'फिजा', और 'जुबैदा' जैसी फिल्मों में उन्होंने भावनात्मक भूमिकाएं निभाकर लोगों की तालियां बटोरीं। साल 2003 के बाद उन्होंने एक्टिंग से दूरी बना ली, लेकिन 2012 में 'डेंजरस इश्क' से वापसी की। 2020 में वेब सीरीज 'मेंटलहुड' और 2024 में 'मर्डर मुबारक' में ओटीटी की दुनिया में कदम रखा।

वहीं, आफताब शिवदासानी ने बाल कलाकार के तौर पर करियर शुरू किया। वह सिर्फ 14 महीने की उम्र में 'फैरेक्स बेबी' विज्ञापन में नजर आए और इसके बाद कई टीवी विज्ञापनों का हिस्सा बने। उन्होंने 1987 में रिलीज हुई 'मिस्टर इंडिया', 'शहंशाह', 'चालबाज' जैसी फिल्मों में बाल कलाकार के रूप में काम किया। 1999 में उन्होंने राम गोपाल वर्मा की फिल्म 'मस्त' से बतौर हीरो डेब्यू किया, जिसके लिए उन्हें बेस्ट डेब्यू एक्टर के लिए जी सिने अवॉर्ड मिला। 2001 में 'कसूर' में निगेटिव रोल निभाकर उन्होंने दर्शकों के दिलों में जगह बनाई और फिल्मफेयर नॉमिनेशन भी हासिल किया। इसके बाद 'लव के लिए कुछ भी करेगा', 'प्यार इश्क और मोहब्बत' और 'क्या यही प्यार है' जैसी फिल्मों में भी अपने अभिनय का लोहा मनवाया।

2003 में 'हंगामा' और 2004 में 'मस्ती' जैसी हिट फिल्मों ने उन्हें कॉमेडी स्टार बना दिया। हालांकि इसके बाद कुछ फिल्में उनकी फ्लॉप रहीं, लेकिन 2012 की हॉरर फिल्म '1920: द ईविल रिटर्न्स' और मल्टीस्टारर 'ग्रैंड मस्ती' जैसी हिट्स ने उन्हें वापसी दिलाई। 2021 में वह वेब सीरीज 'स्पेशल ऑप्स 1.5' में नजर आए, जिसमें उनकी एक्टिंग को खूब सराहा गया। आफताब ने अपनी मेहनत और अलग-अलग किरदारों को निभाकर बॉलीवुड में एक अलग पहचान बनाई है।

--आईएएनएस

पीक/केआर

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