मुंबई: बॉलीवुड की रंगीन दुनिया में कुछ चेहरे ऐसे होते हैं जो न सिर्फ अपनी एक्टिंग से बल्कि अपने हंसमुख अंदाज से भी दर्शकों के दिलों में जगह बना लेते हैं। ये वो सितारे होते हैं जिनके आने भर से माहौल खुशनुमा हो जाता है, और चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। दो ऐसे ही नाम हैं अर्चना पूरन सिंह और चंकी पांडे। इन्हें लोग सिर्फ एक्टर ही नहीं, बल्कि हंसी के ब्रांड एम्बेसडर के तौर पर देखते हैं।
हालांकि, दोनों का करियर अलग-अलग राहों से शुरू हुआ, लेकिन एक कॉमन चीज ने उन्हें एक जैसी पहचान दिलाई, वो है 'कॉमेडी'।
अर्चना पूरन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1962 को देहरादून में हुआ था। उनके पिता, पूरन सिंह, एक वकील थे और चाहते थे कि उनके बच्चे भी लॉ करें, लेकिन अर्चना का मन हमेशा कला की ओर झुकता रहा। पढ़ाई उन्होंने मसूरी और दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज से की, लेकिन उनका सफर मुंबई की गलियों में जाकर फिल्मों की ओर मुड़ गया।
शुरू में उन्होंने कुछ विज्ञापन किए और फिर छोटे-छोटे रोल मिलने लगे। 1987 में फिल्म 'जलवा' में नसीरुद्दीन शाह के साथ मुख्य भूमिका निभाकर उन्होंने फिल्मी करियर की शुरुआत की। इसके बाद 'अग्निपथ', 'राजा हिंदुस्तानी', 'कुछ कुछ होता है', 'मोहब्बतें', और 'कृष' जैसी फिल्मों में उन्होंने छोटे लेकिन दमदार किरदार निभाए।
दूसरी ओर चंकी पांडे का जन्म भी इसी दिन यानी 26 सितंबर 1962 को मुंबई में हुआ था। उनका असली नाम सुयश पांडे है, लेकिन फिल्म इंडस्ट्री में वे चंकी के नाम से मशहूर हो गए। उन्होंने भी 1987 में फिल्म 'आग ही आग' से अपने करियर की शुरुआत की, जो उस वक्त की हिट फिल्मों में से एक थी। शुरुआती दौर में चंकी ने 'तेजाब', 'आंखें', 'खतरों के खिलाड़ी', 'पाप की दुनिया' जैसी फिल्मों में काम किया और काफी लोकप्रियता हासिल की। वह ज्यादातर डबल हीरो या सपोर्टिंग रोल्स में नजर आए।
90 के दशक के बीच में दोनों कलाकारों के करियर में थोड़ी गिरावट आई। उस वक्त शाहरुख, सलमान, और आमिर जैसे नए रोमांटिक हीरो और अक्षय, सुनील और अजय जैसे एक्शन हीरो बॉलीवुड पर छा रहे थे। चंकी को गंभीर या लीड रोल मिलने बंद हो गए और अर्चना को भी फिल्मों में सीमित रोल मिलने लगे। लेकिन यहां से ही दोनों ने अपने-अपने करियर को एक नया मोड़ दिया, और वह था 'कॉमेडी' का रास्ता।
चंकी पांडे ने फिल्मों में अपने कॉमिक अंदाज से वापसी की। खासतौर पर 'हाउसफुल' फ्रेंचाइजी में उनका किरदार 'आखिरी पास्ता' तो इतना फेमस हो गया कि बच्चों से लेकर बड़ों तक सब उनकी कॉमिक टाइमिंग के दीवाने हो गए। यही अंदाज उनकी पहचान बन गया और उन्होंने साबित कर दिया कि वो किसी भी कॉमेडी रोल में जान डाल सकते हैं।
अर्चना पूरन सिंह ने भी टीवी की दुनिया में कदम रखा और वहां एक नई पहचान बनाई। सबसे पहले उन्होंने 'श्रीमान श्रीमति', 'जुनून', 'वाह क्या सीन है' जैसे शोज किए। फिर उन्होंने निर्देशन में भी हाथ आजमाया और धीरे-धीरे वह टीवी की कॉमेडी क्वीन बन गईं। 'कॉमेडी सर्कस' में बतौर जज उनकी हंसी और चुटीले कमेंट्स ने उन्हें घर-घर में फेमस कर दिया। इसके बाद 'द कपिल शर्मा शो' में जब उन्होंने नवजोत सिंह सिद्धू की जगह ली, तो शुरुआत में आलोचना जरूर हुई, लेकिन उन्होंने जल्द ही अपनी अलग पहचान बना ली। अब लोग उन्हें 'लाफ्टर क्वीन' कहते हैं।