मुंबई, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)। मशहूर फिल्म निर्देशक अनुभव सिन्हा ने शनिवार को सिनेमा और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के बदलते दौर पर अपनी राय रखी। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट कर फिल्मों की गहराई और दर्शकों की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए।
निर्देशक का कहना है कि पहले लोग सिनेमाघरों से फिल्म देखकर निकलते थे, तो फिल्म का असर उन पर लंबे समय तक रहता था। वहीं, कुछ फिल्में कविताओं की तरह हमारे मन में ठहर जाया करती थीं, लेकिन आज के दौर में ओटीटी प्लेटफॉर्म्स की दौड़ में यह गहराई कहीं-न-कहीं खोती चली जा रही है।
अनुभव ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें वे एक इंटरव्यू में बातचीत कर रहे हैं। उन्होंने बातचीत करते हुए कहा, "ओटीटी का उद्देश्य महत्वाकांक्षी नहीं है। उनका लक्ष्य है कि दर्शक उनके प्लेटफॉर्म पर ज्यादा समय बिताएं। यह एक अजीब सी जंग है, जहां दर्शकों को यह तय करना होगा कि वे क्या देखना चाहते हैं।"
सिन्हा ने जोर देकर कहा कि दर्शकों को सिनेमाघरों में छोटी लेकिन ऐसी फिल्म देखने का प्रयास करना चाहिए, जिसका कोई मतलब निकलकर आए। उन्होंने कहा, "अगर आप यूट्यूब या किसी ओटीटी प्लेटफॉर्म पर ही सब कुछ देख लेंगे, तो आप उन फिल्मकारों को हतोत्साहित कर रहे हैं, जो गहरी कहानियां कहना चाहते हैं।"
अनुभव ने दर्शकों को सिनेमा के भविष्य का निर्णायक बताया। उन्होंने कहा, "दर्शक ही ड्राइवर सीट पर हैं। वे तय करेंगे कि हिंदुस्तान में कैसा सिनेमा बनेगा।"
निर्देशक ने वीडियो पोस्ट कर कैप्शन दिया, "कुछ फिल्में बातें करती हैं। वे हंसी-मजाक, मिमिक्री या गीत नहीं पेश करतीं। वे समाज से संवाद करना चाहती हैं। आपकी पसंदीदा फिल्मों में से कितनों का कलेक्शन या समीक्षा आपको याद है? वे आपके दिल में सिर्फ इसलिए बसीं क्योंकि वे आपको छू गईं।"
सिन्हा ने दर्शकों से अपील की कि वे सिनेमा को बढ़ावा दें। उन्होंने कहा, "दर्शक ही तय करेंगे कि बॉलीवुड क्या बनाएगा। छोटी फिल्मों को मौका दें, ताकि वैचारिक और गहरी कहानियां बनती रहें।"
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