ऑल इंडिया इमाम आर्गेनाइजेशन के चीफ इमाम डॉक्टर अहमद इलियासी ने एक फतवा 27 अप्रैल को जारी किया है। जिसमें कहा गया है, आतंकवादी शैतान होता है। किसी भी आतंकवादी के साथ शैतान की तरह ही व्यवहार किया जाना चाहिए। उन्होंने अपने फतवे में कहा कि भारत के अंदर कोई भी आतंकवादी मारा जाता है, ऐसी स्थिति में उसके जनाजे की नमाज कोई ईमाम नहीं पढ़ाएगा। भारत के कब्रिस्तान में उसे दफनाया भी नहीं जाए। उन्होंने 5.50 लाख मस्जिदों के इमाम को फतवा भेजा है। लव जिहाद के मामले में भी इलियासी ने चिंता जाहिर करते हुए कहा है, समाज में कुछ लोग नाम और पहचान छुपाकर शादी या निकाह करते हैं, यह गलत है।
इलियासी ने कहा कि इस्लाम, शांति प्रेम और सहिष्णुता का धर्म है। इस्लाम आतंकवाद का धर्म नहीं है। डॉ. इलियासी ने पहलगाम आतंकी घटना के बाद भारतीय सेना द्वारा जो ऑपरेशन सिंदूर चलाया गया, उसकी सराहना की। उन्होंने कहा कि सेना ने आतंकवाद के खिलाफ सटीक और सही जवाब दिया है। यह आपरेशन भारत के लिए गर्व की बात है। उन्होंने बलूचिस्तान को भी स्वतंत्रता देने की वकालत की। डॉ इलियासी ऑल इंडिया इमाम ऑर्गेनाइजेशन के चीफ इमाम है, उन्होंने जो फतवा जारी किया है, निश्चित रूप से उसका पालन भारत की सभी मस्जिदों और कब्रिस्तानों में होगा। आतंकवादियों के जनाजे की नमाज कोई इमाम नहीं पढ़ाएगा, तो मुस्लिम समाज के बीच में इसका एक बेहतर संदेश जाएगा। इसके साथ ही भारत के सभी वर्गों के नागरिकों के बीच में भी यह संदेश जाएगा। मुस्लिम धर्म को मानने वाले लोग आतंकवादियों को शैतान मानते हैं। अतः जो आतंकवादी यह मानकर चलते हैं, वह इस्लाम की लड़ाई लड़ रहे हैं, उन्हें मरने पर जन्नत नसीब होगी। इस फतवे ने आतंकवादियों को भी बड़ा संदेश दे दिया है। इस्लाम में आतंक के लिए कोई स्थान नहीं है। इस्लाम में आतंक को शैतान का कार्य माना गया है। शैतान का मस्जिद में प्रवेश हो ही नहीं सकता है। शैतान मरते हैं, तो उनके जनाजे की नमाज भी मस्जिद में नहीं होनी चाहिए। यह संदेश देकर उन्होंने भारत में इस्लाम धर्म और भारत के सभी धर्म के बीच के भाईचारे को मजबूत करने का काम किया है।
निश्चित रूप से किसी भी धर्म के मूल में शांति, सद्भाव और सेवा का ही वर्णन मिलता है। सभी धर्म में मानवीय आचरण में शांति, प्रेम और सद्रभाव को ही धर्म बताया गया है। जिस तरह से मुस्लिम समाज के इमाम डॉक्टर अहमद इलियासी ने जब सारी दुनिया में आतंकवाद बढ़ रहा है, ऐसे समय पर उन्होंने आतंकवादियों के खिलाफ फतवा जारी करके मुस्लिम समुदाय के साथ-साथ भारत और दुनिया के सभी देशों के नागरिकों को शांति का संदेश देने की कोशिश की है। इसकी जितनी सराहना की जाए, कम है। इसके साथ ही अन्य धर्म के धार्मिक गुरुओं को भी आगे आकर शांति, प्रेम और सद्भाव का संदेश देना चाहिए। तभी मानवीय समाज का उत्थान और विकास संभव है। भारत इस मामले में दुनिया के सभी देशों में सबसे अलग है। हजारों वर्षों से भारत में विभिन्न संस्कृति, विभिन्न धर्मों और विभिन्न भाषाओं के लोग यहां पर रहते हैं।
जैसे पानी में दूध या तो दूध में पानी मिलकर एक दूसरे में आत्मसात हो जाते हैं। ठीक उसी तरह से भारत की संस्कृति वसुदेव कुटुंब की रही है। भारत की संस्कृति में प्रकृति की पूजा का प्रावधान है। भारत में जन्म लेने वाले और रहने वाले सभी लोग एक दूसरे की संस्कृति और एक दूसरे के विचारों को आत्मसात करते हैं। जिसके कारण ही भारत दुनिया का सर्वश्रेष्ठ देश अनादिकाल से है, आगे भी रहेगा। हाल के वर्षों में जिस तरह से सांप्रदायिक उन्माद फैलाया जा रहा है। धर्म की सीढी के माध्यम से सत्ता प्राप्त करने के लिये जिस तरह का आतंक फैलाया जा रहा है। यह सभी को समझ आने लगा है। पहलगाम की साजिश घटना को जिस तरह से हिंदू और मुस्लिम के बीच तनाव पैदा करने की कोशिश आतंकवादियों और सत्ता में बैठे हुए कुछ लोगों द्वारा की गई थी, उसे भारत के लोगों ने नकार दिया है। भारतीय मुसलमानों ने पहलगाम की इस आतंकवादी घटना के बाद जिस तरह से सारे देश और दुनिया को आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता संदेश दिया है। वह निश्चित रूप से सराहनीय है। इसका असर दीर्घकालीन होगा।
आतंकवाद के खिलाफ सभी धर्मों के धर्म गुरुओं को आगे आकर धर्म को आगे करके जो आतंकवाद की लड़ाई हो रही है, आहुति डालनी होगी। तभी भारत और दुनिया के देशों को आतंकवाद से निजात मिलेगी। मानवीय जीवन में प्रकृति में जितने भी जीव है। उनके पोषण करने, उनकी रक्षा करने का दायित्व मानव समाज पर है। सभी धर्म के मूल गुण में यह शामिल है। सभी धार्मिक गुरु इस मामले में आगे आकर पहल करेंगे, तो निश्चित रूप से भारत सहित दुनिया के सभी देशों में शांति का एक नया वातावरण बनेगा। भारत सहित दुनिया के देशों से सत्ता संरक्षित आंतक समाप्त होगा।