यूपीआई लेनदेन में 8 वित्त वर्षों में 114 प्रतिशत का उछाल : केंद्र

नई दिल्ली, 13 अगस्त (आईएएनएस)। हाल ही में संसद में दी गई जानकारी के अनुसार, यूपीआई ट्रांजैक्शन वित्त वर्ष 2017-18 में 114 प्रतिशत के सीएजीआर के साथ 92 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में 18,587 करोड़ हो गए। इसी अवधि के दौरान, ट्रांजैक्शन का मूल्य 1.10 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 261 लाख करोड़ रुपए हो गया है।

वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि जुलाई 2025 में यूपीआई ने एक और उपलब्धि हासिल की, जब पहली बार एक महीने में 1,946.79 करोड़ से अधिक लेनदेन दर्ज किए गए।

देश में डिजिटल भुगतान लेनदेन की कुल मात्रा वित्त वर्ष 2017-18 में 2,071 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में 22,831 करोड़ हो गई है, जो 41 प्रतिशत सीएजीआर से बढ़ रही है।

राज्य मंत्री ने कहा कि इसी अवधि के दौरान, लेनदेन का मूल्य 1,962 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 3,509 लाख करोड़ रुपए हो गया है।

राज्य मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले कुछ वर्षों में ऋण अनुशासन, जिम्मेदारी से ऋण देने, बेहतर प्रशासन, टेक्नोलॉजी अपनाने और सहकारी बैंकों के उचित विनियमन से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए कई उपाय किए हैं।

उन्होंने कहा, "सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में प्रशासनिक सुधार वित्तीय सेवा संस्थान ब्यूरो के माध्यम से शीर्ष प्रबंधन का चयन, राष्ट्रीयकृत बैंकों में गैर-कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति, टैलेंट पूल का विस्तार और प्रबंध निदेशकों के लिए प्रदर्शन-आधारित विस्तार जैसे सुधारों के माध्यम से किए गए हैं।"

बेहतर पहुंच और सेवा उत्कृष्टता (ईएएसई) सुधारों ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के सभी प्रमुख क्षेत्रों, जैसे शासन, विवेकपूर्ण ऋण, जोखिम प्रबंधन, टेक्नोलॉजी-एंड डेटा ड्रिवन बैंकिंग, और परिणाम-केंद्रित एचआर, में बेंचमार्क प्रगति को संभव बनाया है।

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को ऋण प्रवाह में सुधार के लिए लागू किए गए उपायों और उपलब्धियों में एमएसएमई के लिए म्युचुअल क्रेडिट गारंटी स्कीम फॉर एमएसएमई और इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम शामिल हैं।

--आईएएनएस

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