वैश्विक अस्थिरता के बावजूद भारत ने उच्च तकनीक वाले सामान और डिजिटल सेवाओं के निर्यात में वृद्धि दर्ज की

नई दिल्ली, 14 जुलाई (आईएएनएस) । नीति आयोग की सोमवार को जारी तिमाही रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में भारत का व्यापार प्रदर्शन भू-राजनीतिक अस्थिरता और बदलती वैश्विक मांग के बीच सतर्क मजबूती को दर्शाता है।

वाणिज्यिक निर्यात में सालाना आधार पर 3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो 108.7 अरब डॉलर तक पहुंच गया।

रिपोर्ट में कहा गया है कि निर्यात संरचना स्थिर बनी हुई है; सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और चेक गणराज्य से बढ़ती मांग के कारण विमान, अंतरिक्ष यान और पुर्जे सालाना आधार पर 200 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि के साथ शीर्ष दस निर्यातों में शामिल हुए।

उच्च तकनीक वाले व्यापारिक निर्यात में 2014 से तेजी आई है, जिसका नेतृत्व विद्युत मशीनरी और हथियार/गोला-बारूद ने किया है, जो 10.6 प्रतिशत सीएजीआर से मजबूती से बढ़ रहा है।

नीति आयोग के सदस्य डॉ. अरविंद विरमानी ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा, "वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही के लिए ट्रेड वॉच क्वार्टरली का लेटेस्ट एडिशन भारत के व्यापारिक और सेवा व्यापार का 'टाइम्ली' और 'डेटा रिच' विश्लेषण प्रस्तुत करता है, साथ ही विकसित होती अमेरिकी व्यापार नीतियों और भारत पर उनके प्रभावों का गहन एक्सप्लोरेशन भी करता है।"

सेवा क्षेत्र में लगातार मजबूती देखी जा रही है, निर्यात सालाना आधार पर 17 प्रतिशत बढ़कर 102.6 अरब डॉलर और आयात 22.5 प्रतिशत बढ़कर 52.4 अरब डॉलर हो गया। इसके परिणामस्वरूप 52.3 अरब डॉलर का सेवा व्यापार अधिशेष हुआ।

इसके अतिरिक्त, भारत दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा निर्यातक देश बन गया है, जहां डिजिटली डिलिवर्ड सर्विसेज (डीडीएस) का निर्यात 2024 में दोगुने से भी अधिक बढ़कर 269 अरब डॉलर हो गया है, जो आईटी सर्विस, प्रोफेशनल कंसल्टिंग और आरएंडडी आउटसोर्सिंग द्वारा समर्थित है। इससे डिजिटल व्यापार के वैश्विक केंद्र के रूप में भारत की स्थिति मजबूत हुई है।

उत्तरी अमेरिका और यूरोपीय संघ क्षेत्रीय स्तर पर कुल निर्यात का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा बनाते रहे।

दूसरी ओर, आयात 6.5 प्रतिशत बढ़कर 187.5 अरब डॉलर हो गया, जिससे व्यापारिक व्यापार घाटा बढ़ गया।

इस रिपोर्ट का विषयगत केंद्रबिंदु संयुक्त राज्य अमेरिका की उभरती व्यापार नीति, विशेष रूप से अप्रैल 2025 से 10 जुलाई 2025 तक वर्तमान अमेरिकी टैरिफ व्यवस्था की शुरुआत और भारत की निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता पर इसका प्रभाव रहा।

अमेरिका ने सभी आयातों पर बेसलाइन 10 प्रतिशत टैरिफ लागू किया, साथ ही चीन, कनाडा, मेक्सिको, वियतनाम और थाईलैंड जैसे विशिष्ट व्यापारिक साझेदारों पर उच्च टैरिफ भी लगाए।

हालांकि, भारत का औसत टैरिफ जोखिम मध्यम बना हुआ है, यह नीतिगत बदलाव भारतीय निर्यातकों के लिए एक अनूठा रणनीतिक अवसर प्रस्तुत करता है।

विश्लेषण से पता चलता है कि भारत अमेरिका को अपने निर्यात के एक महत्वपूर्ण हिस्से में बाजार हिस्सेदारी हासिल करने की अच्छी स्थिति में है, जो शीर्ष 30 एचएस-2 प्रोडक्ट कैटेगरी में व्यापार मूल्य का 61 प्रतिशत से अधिक और शीर्ष 100 एचएस-4 प्रोडक्ट कैटेगरी में 52 प्रतिशत है।

ये घटनाक्रम भारत के सबसे बड़े निर्यात गंतव्य और एक प्रमुख विकास गलियारे के रूप में अमेरिका के रणनीतिक महत्व को उजागर करते हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, भारत को इन लाभों को लेने के लिए पूरक नीतिगत उपायों को अपनाना चाहिए, जिनमें लक्षित निर्यात, ग्लोबल वैल्यू चेन में डीप इंटीग्रेशन और अमेरिका के साथ सेवा-केंद्रित व्यापार समझौता शामिल है।

डिजिटल व्यापार, सीमा-पार डेटा प्रवाह और पारस्परिक मान्यता समझौतों के इर्द-गिर्द संस्थागत फ्रेमवर्क का निर्माण भारत के सेवा क्षेत्र का विस्तार कर सकता है।

--आईएएनएस

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