वैश्विक अनिश्चितता के बीच ब्याज दरों को स्थिर रखकर आरबीआई ने उठाया सही कदम : अर्थशास्त्री

नई दिल्ली, 1 अक्टूबर (आईएएनएस)। वर्तमान में मध्य पूर्व में इजरायल -हमास संघर्ष, रूस-यूक्रेन युद्ध, अमेरिकी टैरिफ से पैदा हुई वैश्विक अनिश्चितता के बीच आरबीआई द्वारा रेपो रेट को 5.5 प्रतिशत पर रखना एक अच्छा फैसला है। यह बयान अर्थशास्त्री की ओर से बुधवार को दिया गया।

समाचार एजेंसी आईएएनएस के बातचीत करते हुए अर्थशास्त्री डॉ. मनोरंजन शर्मा ने कहा, "हमारे साथ कई अर्थशास्त्रियों का मानना था कि अक्टूबर की मौद्रिक नीति में रेपो रेट में कोई बदलाव होने की संभावना नहीं हैं, क्योंकि मध्य पूर्व में इजरायल -हमास संघर्ष, रूस-यूक्रेन युद्ध और अमेरिकी टैरिफ से वैश्विक अनिश्चितता बढ़ी हुई है। साथ ही कच्चे तेल में उतार-चढ़ाव बना हुआ है और देश की विकास दर भी 6.5 प्रतिशत पर है।"

उन्होंने आगे कहा कि आरबीआई के इन फैसलों का जीएसटी से कोई सीधा लिंक नहीं है। केंद्रीय अर्थव्यवस्था की परिस्थितियों को देखते हुए ब्याज दरों पर फैसला लेता है। जीएसटी एक बहुत बड़ा सुधार है और इससे देश में खपत को बढ़ावा मिलेगा।

शर्मा के मुताबिक, भारत में चालू वित्त वर्ष में महंगाई दर 3.7 प्रतिशत से आसपास रह सकती है। देश दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है। ऐसे में इस महंगाई दर का आसानी से प्रबंधन किया जा सकता है।

केंद्रीय बैंक ने रेपो रेटो को 5.50 प्रतिशत पर स्थिर रखा है। साथ ही, मौद्रिक नीति के रुख को 'न्यूट्रल' रखा है।

रेपो रेट के अलावा, केंद्रीय बैंक ने स्टैंडिग डिपॉजिट फैसिलिटी (एसडीएफ) 5.25 प्रतिशत पर बरकरार रखा है, जबकि मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (एमएसएफ) को 5.75 प्रतिशत पर स्थिर रखा है।

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था अच्छा प्रदर्शन कर रही है और अच्छे मानसून के कारण महंगाई दर में कमी आ रही है। जीएसटी कटौती से अर्थव्यवस्था की विकास की रफ्तार में तेजी आई है।

इससे पहले अगस्त की एमपीसी बैठक में भी आरबीआई ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया था। 2025 की शुरुआत से अब तक केंद्रीय बैंक रेपो रेट को एक प्रतिशत कम कर चुका है, जिसमें फरवरी में 0.25 प्रतिशत, अप्रैल में 0.25 प्रतिशत और जून में 0.50 प्रतिशत की कटौती शामिल है।

--आईएएनएस

एबीएस/

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