नई दिल्ली: भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अडानी ग्रुप और उसके विदेशी निवेशकों को झटका दिया है। सेबी ने आंतरिक प्रक्रियाओं की समीक्षा होने तक नियामकीय शुल्कों का सैटलमेंट करने के अनुरोध को स्थगित रखा है। बीते दिनों सेबी ने बताया था कि सैटलमेंट याचिकाओं के नियमों की समीक्षा की जा रही है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सैटलमेंट प्रक्रिया में एकरूपता की कमी और लगाए गए दंड की प्रकृति पर अस्पष्ट नियमों की वजह से समीक्षा की जा रही है। एक सूत्र ने कहा कि समीक्षा में तीन महीने का समय लग सकता हैं जिसके बाद अडानी की याचिकाओं पर नई प्रक्रियाओं के तहत विचार किया जाएगा। सूत्र के मुताबिक अडानी ग्रुप की 30 संस्थाओं ने इनमें से कुछ विनियामक शुल्कों का सैटलमेंट करने के लिए आवेदन किया है।
रिपोर्ट में सूत्र ने बताया कि अडानी ग्रुप की याचिकाएं निपटान के लिए लंबित तीन सौ से ज्यादा आवेदनों में से हैं, लेकिन सबसे प्रमुख की समीक्षा की जा रही है। बता दें सेबी की सैटलमेंट प्रक्रिया के तहत निवेशक और बाजार सहभागी बिना किसी अपराध के स्वीकारोक्ति या इनकार के मौद्रिक जुर्माना भरते हैं या विनियामक निर्देशों से सहमत होते हैं। इससे पहले अडानी ग्रीन एनर्जी ने बताया था कि समूह के संस्थापक चेयरमैन गौतम अडानी और दो अन्य कंपनी अधिकारियों पर अमेरिकी अदालत में अभियोग लगाए जाने के मामले में नियामकीय अनुपालन की एक स्वतंत्र समीक्षा में कोई भी अनियमितता या गैर-अनुपालन नहीं पाया है। पिछले साल नवंबर में अमेरिकी अधिकारियों ने अडानी उनके भतीजे और कार्यकारी निदेशक सागर अडानी और प्रबंध निदेशक विनीत एस जैन पर सौर ऊर्जा अनुबंध पाने के लिए भारतीय सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने की कथित योजना में शामिल होने का आरोप लगाया था। इसके अलावा इन पर अमेरिकी निवेशकों से धन जुटाने की कोशिश करते समय अपनी योजना को छुपाने का आरोप भी लगा था।
अडानी ग्रुप की कंपनी अडानी ग्रीन एनर्जी पर आरोप है कि सौर ऊर्जा बिक्री अनुबंधों को हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को कथित रूप से 26.5 करोड़ डॉलर की रिश्वत दी गई। इस अनुबंध से कंपनी को 20 साल की अवधि में दो अरब डॉलर का लाभ होने का अनुमान था। अडानी ग्रुप ने पहले सभी आरोपों को निराधार बताते हुए इनकार किया था और कहा था कि वह अपना बचाव करने के लिए कानूनी विकल्प अपनाएगा।