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नई दिल्ली, 7 नवंबर (आईएएनएस)। नोटबंदी के नौ साल शनिवार को पूरे हो जाएंगे। 8 नवंबर, 2016 को रात 8 बजे राष्ट्र के नाम संदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका ऐलान किया था।
नोटबंदी का उद्देश्य देश में कालेधन की समाप्ति और भ्रष्टाचार को खत्म करना था, लेकिन इसने देश की डिजिटल इकोनॉमी को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई है।
नोटबंदी के समय देश में डिटिजल पेमेंट का उपयोग कुछ चुनिंदा लोगों के द्वारा किया जाता था, लेकिन नोटबंदी के कारण नकद की कमी के चलते करीब सभी वर्गों में यह तेजी से लोकप्रिय हुआ।
रिसर्च फर्म पीडब्लूसी के आंकड़ों के मुताबिक, नोटबंदी के एक साल के अंदर ही डिजिटल अर्थव्यवस्था में बड़ा बूम देखने को मिला था।
यूपीआई पर लाइव बैंकों की संख्या दिसंबर 2016 में 21 थी, जो कि 9 महीनों से कम समय में ही 160 प्रतिशत बढ़कर सितंबर 2017 में 55 बैंकों तक पहुंच गई। वहीं, लेनदेन की संख्या दिसंबर 2016 में 20 लाख से 1,540 प्रतिशत बढ़कर 3.08 करोड़ हो गई थी। इस दौरान लेनदेन की वैल्यू 7 अरब रुपए से बढ़कर 52.9 अरब रुपए हो गई थी।
इस दौरान एनईएफटी पर लेनदेन की संख्या और वैल्यू में क्रमश: 28 प्रतिशत और 61 प्रतिशत का इजाफा देखने को मिला था। आरटीजीएस पर लेनदेन की संख्या और वैल्यू में क्रमश: 22 प्रतिशत और 30 प्रतिशत का इजाफा है।
यहां से देश का डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम तेजी से विकसित हुआ है।
वित्तीय सेवा विभाग के मुताबिक, देश में डिजिटल पेमेंट लेनदेन की संख्या बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 18,737 करोड़ तक पहुंच गई है, जो कि वित्त वर्ष 2017-18 में 2,071 करोड़ थी। इस दौरान, इसमें 44 प्रतिशत की कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (सीएजीआर) की वृद्धि हुई है।
वहीं, इन लेनदेन की वैल्यू वित्त वर्ष 2023-24 में 3,659 लाख करोड़ रुपए रही है, जो कि वित्त वर्ष 2017-18 में 1,962 लाख करोड़ रुपए पर थी।
2025 के फेस्टिव सीजन में भी डिजिटल ट्रांजेक्शन में जबरदस्त उछाल देखने को मिला है। धनतेरस से दीपावली के तीन दिनों के दौरान यूपीआई पर औसत लेनदेन की संख्या 73.69 करोड़ रही, जो कि पिछले साल समान अवधि में 64.74 करोड़ थी।
--आईएएनएस
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