निर्यात को बढ़ाने के लिए सरकार ई-कॉमर्स में एफडीआई नियमों को आसान बनाने पर कर रही विचार

नई दिल्ली, 2 नवंबर (आईएएनएस)। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय निर्यात को बढ़ावा देने की सरकार की रणनीति के तहत ई-कॉमर्स के इन्वेंट्री-आधारित मॉडल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति देने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है।

मंत्रालय ने इस प्रस्ताव पर आगे बढ़ने के लिए केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों से राय मांगी है।

वरिष्ठ अधिकारियों की ओर से ई-कॉमर्स संस्थाओं के माध्यम से निर्यात को बढ़ावा देने की अपार संभावनाओं को प्रदर्शित करने के लिए चीन का उदाहरण दिया गया है।

भारत की एफडीआई नीति ई-कॉमर्स के मार्केटप्लेस मॉडल में ऑटोमेटिक रूट के तहत 100 प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति देती है, जहां अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियां खरीदारों और विक्रेताओं को जोड़ने वाले प्लेटफॉर्म के रूप में कार्य करती हैं, लेकिन इन्वेंट्री की मालिक नहीं होती हैं।

हालांकि, इन्वेंट्री-आधारित मॉडल में एफडीआई प्रतिबंधित है, जहां ई-कॉमर्स संस्था सीधे उपभोक्ताओं को अपनी इन्वेंट्री बेचती है। हालांकि कुछ विशिष्ट अपवाद निर्माताओं को अपने उत्पाद बेचने और एकल-ब्रांड खुदरा विक्रेताओं को ई-कॉमर्स के माध्यम से काम करने की अनुमति देते हैं।

वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भी संकेत दिया है कि सरकार ई-कॉमर्स कंपनियों को केवल निर्यात के लिए इन्वेंट्री रखने की अनुमति देने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है।

भारत का ई-कॉमर्स निर्यात बढ़ रहा है और वर्तमान में लगभग 4-5 बिलियन डॉलर है और सरकार का लक्ष्य इसे 2030 तक 200-300 बिलियन डॉलर ले जाने का है। लोकप्रिय निर्यात उत्पादों में कपड़े, होम डेकोर, हैंडीक्राफ्ट, ऑर्गेनिक ब्यूटी प्रोडक्ट्स, खिलौने और इलेक्ट्रॉनिक सामान शामिल हैं।

विदेश व्यापार नीति 2023 में डिजिटल अर्थव्यवस्था में सीमा पार व्यापार के रोडमैप को रेखांकित करने के लिए ई-कॉमर्स पर एक समर्पित अध्याय शामिल है, जो ई-कॉमर्स के माध्यम से निर्यात को बढ़ावा देने की सरकार की पहल को दर्शाता है।

सरकार विदेश व्यापार नीति के तहत निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी में ई-कॉमर्स निर्यात केंद्र स्थापित करने की भी योजना बना रही है। इसके अलावा, डिजिटल इंडिया कार्यक्रमों ने ऑनलाइन भुगतान को आसान बनाकर और ग्राहक वेरीफिकेशन को सरल बनाकर मदद की है।

--आईएएनएस

एबीएस/

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