मुंबई, 3 अगस्त (आईएएनएस)। भारतीय शेयर बाजार एक महत्वपूर्ण सप्ताह के लिए तैयार हैं क्योंकि घरेलू और वैश्विक कारकों का मिश्रण निवेशकों की धारणा को प्रभावित कर रहा है।
पिछले कुछ सत्रों से बिकवाली के दबाव का सामना करने के बाद, बाजार बढ़ते वैश्विक जोखिमों, कमजोर कॉर्पोरेट आय और लगातार विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की निकासी के कारण दबाव में हैं।
बीते शुक्रवार को सेंसेक्स 0.72 प्रतिशत गिरकर 80,599.91 पर आ गया, जबकि निफ्टी 50 0.82 प्रतिशत गिरकर 24,565.35 पर बंद हुआ। इस सप्ताह, दोनों बेंचमार्क सूचकांकों में 1.1 प्रतिशत की गिरावट आई, जिसके परिणामस्वरूप पांच सप्ताह की गिरावट दर्ज की गई, जो दो वर्षों में सबसे लंबी गिरावट का दौर है।
8 अगस्त को होने वाले निर्णय के साथ, सभी की निगाहें आरबीआई की एमपीसी बैठक पर होंगी, जो 4-6 अगस्त के लिए निर्धारित है। हॉलिडे सीजन से पहले ऋण विस्तार को बढ़ावा देने के लिए 25 आधार अंकों की दर में कटौती की उम्मीद है।
अमेरिकी डॉलर के मूल्य में वृद्धि ने वैश्विक स्तर पर उभरते बाजारों पर अतिरिक्त दबाव डाला है।
पिछले सप्ताह, डॉलर सूचकांक में लगभग तीन वर्षों में सबसे बड़ी साप्ताहिक वृद्धि देखी गई, जो 2.5 प्रतिशत बढ़कर 100 के स्तर को पार कर गया। मजबूत डॉलर ने उधार लेना महंगा कर दिया है और पूंजी के पलायन को लेकर चिंताएं पैदा कर दी हैं।
विदेशी संस्थागत निवेशकों ने नौ सेशन में 27,000 करोड़ रुपए से अधिक की निकासी की है, जिसमें अकेले गुरुवार को 5,588.91 करोड़ रुपए शामिल हैं। लॉन्ग-टू-शॉर्ट रेश्यो घटकर 0.11 रह जाने और इंडेक्स फ्यूचर्स में शॉर्ट इंटरेस्ट 90 प्रतिशत तक पहुंचने के साथ बियरिश दांव बढ़ गए हैं।
पहली तिमाही की कमजोर आय के कारण दबाव बढ़ गया है। प्रमुख बैंकों ने मामूली लाभ वृद्धि दर्ज की है, जिससे समग्र धारणा शांत रही है और निफ्टी आईटी सूचकांक पिछले महीने 10 प्रतिशत गिर गया है।
गौरतलब है कि अमेरिका ने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया है। अमेरिका ने रूस के साथ रक्षा उपकरणों और कच्चे तेल के व्यापार पर भारत के लिए एक एडिशनल अनस्पेसिफाइड पेनल्टी भी लगाई है, जिससे मार्केट सेंटीमेंट प्रभावित हुआ है।
--आईएएनएस
एसकेटी/