महंगाई के मोर्चे पर अच्छी खबर, थोक मुद्रास्फीति दो साल के निचले स्तर पर पहुंची

मुंबई, 14 अगस्त (आईएएनएस)। भारत में महंगाई के मोर्चे पर गुरुवार को अच्छी खबर आई। थोक मुद्रास्फीति जुलाई में कम होकर -0.58 प्रतिशत हो गई है। यह जुलाई 2023 के बाद का सबसे निचला स्तर है।

वहीं, बीते महीने जून 2025 में थोक मुद्रास्फीति -0.13 प्रतिशत पर थी।

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया कि थोक मुद्रास्फीति की नकारात्मक दर की वजह खाद्य उत्पादों, मिनरल तेल, क्रूड पेट्रोलियम और नेचुरल गैस के साथ बेसिक मेटल की मैन्युफैक्चरिंग की कीमतों में कमी आना है।

आंकड़ों के मुताबिक, प्राथमिक वस्तुओं में थोक महंगाई दर जुलाई में कम होकर -4.95 प्रतिशत हो गई है, जो कि जून में -3.38 प्रतिशत थी। ईंधन और ऊर्जा में भी जुलाई में थोक महंगाई दर -2.43 प्रतिशत रही है, जो कि जून में -2.65 प्रतिशत थी।

खाद्य सूचकांक में थोक महंगाई दर कम होकर -2.15 प्रतिशत हो गई है, जो कि पहले -0.26 प्रतिशत थी।

दूसरी तरफ मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स में थोक महंगाई दर में इजाफा हुआ है और यह जून के 1.97 प्रतिशत के मुकाबले जुलाई में 2.05 प्रतिशत हो गई है।

इससे पहले सरकार ने मंगलवार को खुदरा महंगाई के आंकड़े जारी किए थे। भारत में खुदरा महंगाई जुलाई में कम होकर 1.55 प्रतिशत हो गई है। यह महंगाई का 8 वर्षों (जून 2017) का सबसे निचला स्तर है। महंगाई में कमी आने की वजह खाद्य उत्पादों की कीमतें कम होना है।

आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने हाल ही में कहा, "2025-26 के लिए महंगाई का पूर्वानुमान जून में की गई अपेक्षा से अधिक नरम हो गया है। दक्षिण-पश्चिम मानसून की स्थिर प्रगति, अच्छी खरीफ बुवाई, पर्याप्त जलाशय स्तर और खाद्यान्नों के पर्याप्त बफर स्टॉक के साथ बड़े अनुकूल आधार प्रभावों ने इस नरमी में योगदान दिया है।"

हालांकि, प्रतिकूल आधार प्रभावों और नीतिगत कदमों से उत्पन्न मांग संबंधी कारकों के प्रभाव में आने के कारण, खुदरा महंगाई 2025-26 की चौथी तिमाही और उसके बाद 4 प्रतिशत से ऊपर रहने की संभावना है।

--आईएएनएस

एबीएस/

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