नई दिल्ली, 14 अगस्त (आईएएनएस)। ग्लोबल क्रेडिट रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल ने आर्थिक मजबूती और निरंतर राजकोषीय सुदृढ़ीकरण का हवाला देते हुए गुरुवार को 79वें स्वतंत्रता दिवस से पहले भारत की दीर्घकालिक अनचाही सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग को पहले के 'बीबीबी-' से बढ़ाकर 'बीबीबी' कर दिया।
एक नोट में, एसएंडपी ग्लोबल ने कहा कि स्थिर परिदृश्य निरंतर नीतिगत स्थिरता और हाई इंफ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट के निवेश को दर्शाता है, जिससे भारत के दीर्घकालिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
रेटिंग एजेंसी ने कहा, "यह, सतर्क राजकोषीय और मौद्रिक नीति के साथ, जो सरकार के बढ़े हुए ऋण और ब्याज के बोझ को कम करती है, अगले 24 महीनों में रेटिंग को मजबूत बनाएगी।"
भारत की अल्पकालिक रेटिंग को भी पहले के ए-3 से संशोधित कर ए-2 कर दिया गया है और ट्रांसफर एंड कंवर्टिबिलिटी असेस्मेंट को बीबीबी+ से संशोधित कर ए- कर दिया गया है।
नोट के अनुसार, भारत पर अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव संभवतः प्रबंधनीय होगा, क्योंकि मजबूत आर्थिक बुनियाद अगले दो से तीन वर्षों में देश की विकास गति को सहारा देगी।
मई 2024 में, एसएंडपी ने भारतीय अर्थव्यवस्था के अपने दृष्टिकोण को स्थिर से संशोधित कर सकारात्मक कर दिया था और कहा था कि अगर भारत का राजकोषीय घाटा कम होता है, तो वह सॉवरेन रेटिंग बढ़ा सकता है।
नोट के अनुसार, भारत राजकोषीय कंसोलिडेशन को प्राथमिकता दे रहा है, जो अपने मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर को बनाए रखते हुए, स्थायी सार्वजनिक वित्त प्रदान करने के लिए सरकार की राजनीतिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
स्थिर दृष्टिकोण हमारे इस दृष्टिकोण को दर्शाता है कि निरंतर नीतिगत स्थिरता और हाई इंफ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट भारत की दीर्घकालिक विकास संभावनाओं को समर्थन प्रदान करेगा। यह, सरकार के बढ़े हुए ऋण और ब्याज के बोझ को कम करने वाली सतर्क राजकोषीय और मौद्रिक नीति के साथ, अगले 24 महीनों में रेटिंग को मज़बूत करेगा।"
नोट में आगे कहा गया है, "इसके अलावा, मौद्रिक नीति सेटिंग्स मुद्रास्फीति संबंधी अपेक्षाओं को प्रबंधित करने के लिए तेजी से अनुकूल होती जा रही हैं।"
भारत की रेटिंग में यह सुधार मुद्रास्फीति संबंधी अपेक्षाओं को सहारा देने वाले बेहतर मौद्रिक नीति परिवेश की पृष्ठभूमि में उसकी तेज आर्थिक वृद्धि को दर्शाता है।
नोट में कहा गया है, "सरकार की राजकोषीय कंसोलिडेशन के प्रति प्रतिबद्धता और व्यय की गुणवत्ता में सुधार के प्रयासों के साथ, हमारा मानना है कि इन कारकों ने मिलकर ऋण मानकों को लाभ पहुंचाया है। भारत दुनिया की सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना हुआ है।"
--आईएएनएस
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