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नई दिल्ली, 14 दिसंबर (आईएएनएस)। केंद्र सरकार सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) के विकास को बढ़ावा देने के लिए विशेष कदम उठा रही है, जिसमें कारोबार करने में आसानी के लिए नियमों को सरल बनाना और इन उद्योगों को लोन की बेहतर पहुंच प्रदान करना शामिल है, ताकि वे अपने व्यवसाय को विस्तार दे सकें।
रविवार को जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार, केंद्र सरकार के भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने एमएसएमई को कुछ विशेष छूट और रियायतें दी हैं ताकि विभिन्न मंत्रालयों द्वारा जारी गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (क्यूसीओ) घरेलू उत्पादन को प्रभावित न करें।
इन रियायतों और छूटों में सूक्ष्म और लघु उद्योगों के लिए 3 से 6 महीने का समय विस्तार और निर्यात उत्पाद बनाने वाले घरेलू निर्माताओं के लिए आयात पर छूट शामिल हैं। इसके अलावा, शोध और विकास के लिए 200 यूनिट्स तक के आयात पर छूट और पुराने स्टॉक (जो उत्पादन या आयात पहले हुआ हो) को लागू होने की तारीख से 6 महीने के भीतर साफ करने की रियायत भी दी गई है।
बीआईएस ने वित्तीय और तकनीकी रियायतें भी दी हैं, जिनमें वार्षिक न्यूनतम शुल्क में 10 प्रतिशत से 80 प्रतिशत तक की छूट शामिल है। इसके अलावा, पूर्वोत्तर क्षेत्र में स्थित या महिला उद्यमी एमएसएमई यूनिट्स को अतिरिक्त 10 प्रतिशत की छूट भी मिल रही है।
इसके अलावा, इन-हाउस लैब बनाए रखने की जरूरत को एमएसएमई यूनिट्स के लिए वैकल्पिक बना दिया गया है। अब एमएसएमई यूनिट्स बाहरी बीआईएस-मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं या एनएबीएल-मान्यता प्राप्त लैब्स की सेवाएं ले सकती हैं।
साथ ही, भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने उत्पाद प्रमाणन प्रक्रिया के दिशा-निर्देश अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक कर दिए हैं और उत्पाद आधारित गाइडलाइंस भी जारी की हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भी एमएसएमई को ब्याज दरों को बाहरी बेंचमार्क से जोड़ने का निर्देश दिया है, जिससे लोन की पुनः सेटिंग तीन महीने में हो सके। इसके अलावा, म्यूचुअल क्रेडिट गारंटी योजना के जरिए एमएसएमई को लोन गारंटी प्रदान की जा रही है, ताकि उन्हें उपकरण और मशीनरी खरीदने के लिए आसानी से लोन मिल सके।
इसके अतिरिक्त, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों को 10 लाख रुपए तक के लोन के लिए कोलैटरल (जमानत) लेने से मना किया गया है, ताकि एमएसएमई को लोन प्राप्त करने में और भी आसानी हो।
--आईएएनएस
दुर्गेश बहादुर/एबीएम