भारत-यूके एफटीए से नौकरियों और निवेश का खुलेगा द्वार : आशीष कुमार चौहान

नई दिल्ली, 26 जुलाई (आईएएनएस)। भारत और यूके के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर हाल ही में हुई ऐतिहासिक सहमति ने दोनों देशों के आर्थिक संबंधों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने का मार्ग प्रशस्त किया है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के प्रबंध निदेशक और सीईओ आशीष कुमार चौहान ने इस समझौते को भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंधों में एक नए अध्याय की शुरुआत बताया है।

उनके अनुसार यह समझौता न केवल भारत, बल्कि यूके के लिए भी आर्थिक समृद्धि और रोजगार सृजन का एक बड़ा अवसर लेकर आया है। उन्होंने कहा, "भारत-यूके एफटीए पर चर्चा कई वर्षों से चल रही थी। चार-पांच साल पहले शुरू हुई इस प्रक्रिया में कई उतार-चढ़ाव देखे गए, लेकिन अब यह समझौता दोनों देशों के लिए एक मील का पत्थर साबित होने जा रहा है।"

उन्होंने बताया कि यह समझौता भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूके के प्रधानमंत्री की उपस्थिति में संपन्न हुआ। इस अवसर पर दोनों देशों ने कई क्षेत्रों, जैसे कृषि, चमड़ा, मत्स्य पालन, औद्योगिकीकरण और वित्तीय सेवाओं को शामिल किया है। वर्तमान में भारत और यूके के बीच द्विपक्षीय व्यापार लगभग 54 बिलियन डॉलर प्रति वर्ष है, जिसमें से 32 बिलियन डॉलर सेवाओं और 22 बिलियन डॉलर विनिर्माण और अन्य क्षेत्रों से संबंधित है। इस समझौते के लागू होने से व्यापार और निवेश में और वृद्धि की उम्मीद है।

आशीष कुमार चौहान ने बताया कि यह मजबूत आर्थिक साझेदारी दोनों देशों के बीच गहरे संबंधों का प्रतीक है। भारतीय पेशेवरों को इसका बहुत फायदा होगा। पहले भारतीय पेशेवरों को यूके में कई तरह के टैक्स देने पड़ते थे। ये उनके खातों में वापस नहीं आता था। नई संधि के तहत, भारतीय पेशेवरों को अब लंबे समय तक इन करों से छूट मिलेगी, जब तक कि वे यूके के स्थायी निवासी नहीं बन जाते। इसके अलावा, वीजा व्यवस्था को और सरल करने की योजना है, जिससे भारतीय पेशेवरों को यूके में काम करने के लिए बेहतर अवसर प्राप्त होंगे।

आशीष कुमार चौहान ने इस समझौते को भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अत्यंत लाभकारी बताया। उन्होंने कहा कि यह कपड़ा, चमड़ा, मत्स्य पालन और कृषि जैसे क्षेत्रों में ढेर सारी नौकरियां पैदा करेगा। खास तौर पर, कम कौशल वाली नौकरियों की मांग बढ़ेगी, जो भारत जैसे युवा और श्रम-प्रधान देश के लिए महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही, यह समझौता भारतीय कंपनियों को यूके में अपना आधार स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करेगा, जिससे दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग और मजबूत होगा।

आशीष कुमार चौहान ने जोर देकर कहा कि यह समझौता केवल भारत के लिए ही नहीं, बल्कि यूके के लिए भी फायदेमंद है। दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और प्रवासी समुदाय के मजबूत संबंध इस समझौते को और प्रभावी बनाते हैं। भारत इस समय दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। इस समझौते के माध्यम से वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति को और सुदृढ़ होगी। यह समझौता भारत और यूके के बीच एक नई शुरुआत का प्रतीक है, जो दोनों देशों के नागरिकों के लिए समृद्धि और अवसरों का नया युग लेकर आएगा।

भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर भारतीय रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) के अध्यक्ष किरीट भंसाली ने कहा, "मुझे इसे लेकर बहुत खुशी है। भारत-ब्रिटेन एफटीए को इस स्तर तक पहुंचने में पूरे 7 साल लग गए। आजादी के 75 साल बाद दोनों देश इतने करीब आ गए हैं, दुनिया की चौथी और पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं एक साथ आ रही हैं। पिछले 11 वर्षों में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत की स्थिति आज कहीं अधिक मजबूत हुई है। ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) भविष्य की संभावनाओं का एक महत्वपूर्ण संकेत है। मेरा मानना है कि यह समझौता अमेरिका, यूरोपीय संघ और जापान जैसे देशों के साथ भविष्य में संभावित मुक्त व्यापार समझौतों का संकेत देता है।"

किरीट भंसाली ने आगे कहा, "जीजेईपीसी ने एक बूथ बनाया था, जहां भारत के शीर्ष 12 कारीगरों के आभूषण प्रदर्शित किए गए थे। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने प्रत्येक आभूषण को बारीकी से देखने के लिए समय निकाला और मुझसे इनके बारे में विस्तार से जानकारी ली। मैंने पहले कभी किसी ब्रिटिश प्रधानमंत्री को भारतीय आभूषणों में इतनी रुचि लेते नहीं देखा था। मेरे लिए यह जीवन का एक यादगार क्षण था कि मुझे अपने बूथ पर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री और भारतीय प्रधानमंत्री के साथ बातचीत करने का अवसर मिला।"

--आईएएनएस

एकेएस/एएस

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