नई दिल्ली, 14 अगस्त (आईएएनएस)। भारत ने बीते 10 वर्षों से अधिक समय में राष्ट्रीय सुरक्षा के तीन प्रमुख स्तंभ जैसे खाद्य, ऊर्जा और रक्षा में तेज प्रगति की है। इसकी वजह नीति निर्मताओं का स्पष्ट विजन, अधिक टेक्नोलॉजी को अपनाने पर ध्यान केंद्रित होना और रणनीतिक निवेश करना है। यह जानकारी इंडिया नैरेटिव के एक आर्टिकल में दी गई।
इस दौरान देश चावल और गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और दालों व चीनी का सबसे बड़ा उत्पादक बनकर उभरा है। खाद्यान्न उत्पादन 2015-16 में 256.4 मिलियन टन से बढ़कर 2021-22 में 315.72 मिलियन टन हो गया, जो एक दशक में लगभग 60 मिलियन टन की वृद्धि दर्शाता है।
यह उपलब्धि एक बहुआयामी दृष्टिकोण पर आधारित है, जिसमें बेहतर सिंचाई, मशीनीकरण, उच्च उपज वाली बीज किस्में और किसान-केंद्रित कल्याणकारी योजनाएं शामिल हैं।
इस प्रयास को बल देने वाली प्रमुख योजनाओं में पीएम-किसान योजना शामिल है, जो 11 करोड़ से अधिक किसानों को प्रत्यक्ष आय सहायता प्रदान करती है। वहीं, मनरेगा ग्रामीण रोजगार सुरक्षा जो अप्रत्यक्ष रूप से खाद्यान्न की क्रय शक्ति को मजबूत करती है।
इसके अतिरिक्त, मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना और पीएम कृषि सिंचाई योजना, जो स्थायी मृदा और जल प्रबंधन को लक्षित करती हैं।
भारत के कृषि निर्यात (झींगा से लेकर मसालों तक) ने न केवल राष्ट्रीय आय को बल्कि क्षेत्रीय खाद्य आपूर्ति स्थिरता को भी मजबूत किया है, जिससे यह वैश्विक बाजारों में एक विश्वसनीय योगदानकर्ता बन गया है।
यह लेख 2014 के बाद से देश की ऊर्जा सुरक्षा में आए तेज बदलाव के बारे में भी बताता है, जब लाखों भारतीयों के पास अभी भी बुनियादी बिजली नहीं थी। हालांकि, अप्रैल 2018 तक, भारत ने 2.8 करोड़ से ज्यादा घरों को जोड़ते हुए, 100 प्रतिशत गांवों का विद्युतीकरण कर दिया गया है। डीडीयूजीजेवाई और सौभाग्य जैसे ग्रामीण और शहरी विद्युतीकरण कार्यक्रमों ने लंबे समय से चली आ रही पहुंच की कमियों को दूर किया, जबकि उज्ज्वला योजना ने कम आय वाले परिवारों के लिए धुएं वाले चूल्हों की जगह एलपीजी कनेक्शन दिए।
जून 2025 तक, भारत की स्थापित बिजली क्षमता 476 गीगावाट है, जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा का योगदान 47.7 प्रतिशत है - जो 2015 के लगभग 16 प्रतिशत से एक बड़ा बदलाव है।
सौर ऊर्जा में असाधारण उछाल आया है, जो 2016 में 9 गीगावाट से बढ़कर 2025 में 110.9 गीगावाट हो गया है, जिससे भारत सौर क्षमता के मामले में वैश्विक स्तर पर तीसरे स्थान पर है। पवन ऊर्जा भी 51.3 गीगावाट तक पहुंच गई है, जो दुनिया भर में चौथे स्थान पर है।
बिजली की कमी, जो उद्योग जगत के लिए एक स्थायी बाधा थी, 2013-14 में 4.2 प्रतिशत से घटकर 2024-25 में 0.1 प्रतिशत रह गई है। ऊर्जा विविधीकरण, रणनीतिक तेल भंडारों और विदेशी परिसंपत्तियों के अधिग्रहण के साथ, भारत को आपूर्ति संबंधी झटकों से बचा रहा है।
देश के रक्षा में आत्मनिर्भर भारत ढांचे के तहत आत्मनिर्भरता की दिशा में एक निर्णायक परिवर्तन हुआ है। देश ने स्वदेशी मिसाइल कार्यक्रमों जैसे अग्नि, पृथ्वी और ब्रह्मोस (दुनिया की सबसे तेज क्रूज मिसाइल) की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया है। पहली परमाणु ऊर्जा चालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी, आईएनएस अरिहंत ने भारत के परमाणु त्रिकोण को मजबूत किया है।
हाल के इनोवेशनों में सटीक, त्वरित-तैनाती क्षमता वाली प्रलय सामरिक मिसाइल और अग्नि प्राइम मिसाइल शामिल हैं, जिसे लंबी दूरी के हमले के लिए अपग्रेड किया गया है।
तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में रक्षा औद्योगिक गलियारों ने 20,000 करोड़ रुपए की प्रतिबद्धताएं आकर्षित की हैं, जिनमें से अकेले तमिलनाडु ने 2024 तक 11,794 करोड़ रुपए प्राप्त किए हैं। इस पारिस्थितिकी तंत्र ने 100 से अधिक देशों को रिकॉर्ड रक्षा निर्यात को बढ़ावा दिया है।
इसके अलावा, भारतीय सेनाएं एआई-संचालित युद्धक्षेत्र प्रणालियां, स्मार्ट कवच, एक्सोस्केलेटन और एआर-सक्षम सामरिक उपकरण अपना रही हैं।
लेख में आगे कहा गया है कि पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर की सफलता ने स्वदेशी प्लेटफार्मों - आकाश मिसाइल प्रणाली, ब्रह्मोस, तेजस लड़ाकू जेट और एलसीएच प्रचंड हेलीकॉप्टरों - की प्रभावशीलता को प्रदर्शित किया। सीमा पार सुरक्षा में सुधार हुआ है और उग्रवाद की घटनाओं में बड़ी गिरावट आई है।
--आईएएनएस
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