भारत में पांच वर्षों में ऊर्जा पर पूंजीगत व्यय दोगुना होकर 280 अरब डॉलर के पार पहुंचने की उम्मीद: जेफरीज

मुंबई, 10 नवंबर (आईएएनएस)। भारत में ऊर्जा पर पूंजीगत व्यय अगले पांच वर्षों में दोगुना से अधिक बढ़कर 280 अरब डॉलर के पार पहुंचने की उम्मीद है। यह जानकारी वैश्विक ब्रोकरेज फर्म जेफरीज की ओर से सोमवार को दी गई।

ब्रोकरेज फर्म जेफरीज ने कहा कि वित्त वर्ष 2025 और वित्त वर्ष 2030 के बीच भारत का ऊर्जा पर पूंजीगत व्यय वित्त वर्ष 2019-2024 के स्तर के मुकाबले 2.2 गुना बढ़कर 280 अरब डॉलर से अधिक होने का अनुमान है।

ऊर्जा पर पूंजीगत व्यय बढ़ने की वजह बड़े ट्रांसमिशन प्रोजेक्ट्स में निवेश, सरकार का मजबूत नीतिगत समर्थन और ग्रिड इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश बढ़ना है।

ब्रोकरेज फर्म का मानना है कि इन्फ्रास्ट्रक्चर में वृद्धि का पावर सेगमेंट एक मुख्य चालक होगा और यह 21 प्रतिशत के कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (सीएजीआर) से बढ़ रहा है। हालांकि, समग्र इन्फ्रास्ट्रक्चर और इंडस्ट्रियल कैपेक्स वित्त वर्ष 2024-2027 के बीच में 11 प्रतिशत के सीएजीआर से बढ़ने की उम्मीद है।

वित्त वर्ष 2025 में 1.6 लाख करोड़ रुपए की ट्रांसमिशन बोलियां पहले ही प्रदान की जा चुकी हैं, जबकि वित्त वर्ष 2024 में यह राशि 39,500 करोड़ रुपए थी।

जेफरीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत के एनर्जी सिक्योरिटी और ग्रिड के आधुनिकरण पर जोर के चलते पावर इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स में अच्छी ग्रोथ देखने को मिल सकती है। मजबूत एग्जीक्यूशन, बढ़ते ऑर्डर इनफ्लो, मार्जिन में सुधार से सेक्टर की अग्रणी कंपनियों को फायदा होगा।

ब्रोकरेज फर्म ने आगे कहा, "भारत के मौजूदा पूंजीगत व्यय चक्र में पावर ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन सबसे आकर्षक इंडस्ट्रियल सेगमेंट्स में से एक बना हुआ है।"

केंद्र सरकार ऊर्जा का उत्पादन बढ़ाने के साथ स्वच्छ ऊर्जा पर भी फोकस कर रही है।

बीते महीने केंद्र सरकार ने कहा था कि कुल बिजली उत्पादन में ग्रीन एनर्जी की हिस्सेदारी बढ़कर 51 प्रतिशत हो गई है, इसमें रिन्यूएबल, हाइड्रो और न्यूक्लियर प्लांट से पैदा होने वाली बिजली शामिल है।

--आईएएनएस

एबीएस/

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