भारत की औसत वृद्धि दर अगले दशक में 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान : मॉर्गन स्टेनली

नई दिल्ली, 30 सितंबर (आईएएनएस)। अमेरिकन मल्टीनेशनल इन्वेस्टमेंट बैंक एंड फाइनेंशियल सर्विस कंपनी मॉर्गन स्टेनली ने मंगलवार को एक रिपोर्ट में कहा कि अगले दशक में भारत की वार्षिक वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। वहीं, अगर औद्योगिक और निर्यात क्षेत्र तेजी से बढ़ते हैं तो यह वृद्धि दर और अधिक बढ़ सकती है।

मॉर्गन स्टेनली ने कहा कि निर्यात क्षेत्र में भारत के पास वृद्धि की काफी संभावना है, जिसे एक व्यापक सुधार पैकेज को जरिए बढ़ाया जा सकता है।

विश्लेषकों ने पहले बताया था कि जीएसटी सुधार के मध्यनजर वित्त वर्ष 26 में भारत की अर्थव्यवस्था 6.5 प्रतिशत की दर से तेजी से बढ़ेगी, जिसे लेकर पहले 6 प्रतिशत की उम्मीद जताई गई थी।

मॉर्गन स्टेनली ने भी सहमति के साथ कहा, "हमारे अनुमान के अनुसार, अगले दशक में भारत की जीडीपी 6.5 प्रतिशत से बढ़ेगी, जो दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक होगी।"

मॉर्गन स्टेनली ने उन स्टडी का हवाला दिया है, जिसमें पता चलता है कि मैन्युफैक्चरिंग एक्सपोर्ट से पैदा होने नौकरी से संबंधित सेक्टर जैसे ट्रांसपोर्टेशन और लॉजिस्टिक्स में दो और नई नौकरियां पैदा होती है।

इस संदर्भ में, भारत को अपने निर्यात बाजार हिस्सेदारी को बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण अवसर पेश करता है, जो वर्तमान में 1.8 प्रतिशत है, जो कामकाजी आयु की आबादी और जीडीपी के अनुपात में काफी कम है।

मॉर्गन स्टेनली ने एक व्यापक सुधार पैकेज का सुझाव दिया है, जिसमें पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर का तेजी से विकास शामिल है।

इसके अलावा, फर्म ने एक सिस्टैमेटिक अप्रोच की आवश्यकता पर जोर दिया, जो राज्य सरकारों को बिजनेस एनवायरमेंट को बेहतर बनाने और यह सुनिश्चित करने के लिए प्रोत्साहित करे कि लेबर फोर्स में स्किल्ड हो।"

रिपोर्ट में कहा गया है कि नीति निर्माता पहले से ही प्रयास कर रहे हैं, लेकिन नौकरियों की समस्या की गंभीरता गति बढ़ाने की जरूरत को दिखाती है।

अगले 10 वर्षों में कम से कम 8.4 करोड़ लोगों के वर्कफोर्स में शामिल होने की उम्मीद है।

रिपोर्ट में कहा गया है, "मध्यम अवधि में एक जरूरी मुद्दा एआई द्वारा नौकरी वृद्धि की संभावनाओं को कम करना है, जो कि खासकर आईटी सर्विस सेक्टर और डॉमेस्टिक सर्विस सेक्टर से जुड़ा है। आईटी सर्विस सेक्टर रोजगार सृजन का एक प्रमुख स्रोत रहा है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि विश्लेषण से पता चलता है कि पार्टिसिपेशन रेट स्थिर रहने पर स्थिर बेरोजगारी दर सुनिश्चित करने के लिए 7.4 प्रतिशत की औसत जीडीपी विकास दर की आवश्यकता होगी।

रिपोर्ट के अनुसार, "अगर हम पार्टिसिपेशन रेट को धीरे-धीरे बढ़ाकर 63 प्रतिशत करने की अनुमति देते हैं, तो स्थिर बेरोजगारी दर सुनिश्चित करने के लिए 9.3 प्रतिशत की औसत जीडीपी विकास दर की आवश्यकता होगी।"

--आईएएनएस

एसकेटी/

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