भारत का एग्री-टेक सेक्टर कैलेंडर वर्ष 2029 तक 60 करोड़ डॉलर तक पहुंच जाएगा : रिपोर्ट

नई दिल्ली, 17 जुलाई (आईएएनएस) । भारत का एग्री-टेक सेक्टर कैलेंडर वर्ष 2029 तक 60 करोड़ डॉलर के निवेश तक पहुंचने की राह पर है। यह जानकारी गुरुवार को आई एक रिपोर्ट में दी गई।

1लैटिस द्वारा संकलित आंकड़ों से पता चलता है कि इस सेक्टर के लगभग 6 प्रतिशत की स्थिर वार्षिक दर से बढ़ने की उम्मीद है, जो निवेशकों की नई रुचि और एग्रीकल्चर इनोवेशन में दीर्घकालिक विश्वास को दर्शाता है।

2022 के बाद फंडिंग थोड़ी धीमी गति के बाद इस सेक्टर में मजबूत सुधार के संकेत दिखाई दे रहे हैं।

हाल के वर्षों में एग्री-टेक का महत्वपूर्ण विकास हुआ है और महामारी के दौरान उद्यमिता में शानदार वृद्धि हुई है।

अकेले 2020 में, 572 नए एग्री-टेक स्टार्टअप लॉन्च किए गए क्योंकि कृषि क्षेत्र ने व्यवधानों से निपटने के लिए डिजिटल-फर्स्ट सॉल्यूशन की ओर रुख करना शुरू कर दिया।

2019 में फंडिंग राउंड केवल 53 से बढ़कर 2022 में 101 के पीक पर पहुंच गए। हालांकि अब सौदों की संख्या लगभग 60 से 70 प्रति वर्ष पर स्थिर हो गई है, लेकिन अब फोकस बदल गया है।

निवेशक अब ऐसे बिजनेस मॉडल की तलाश कर रहे हैं जो न केवल इनोवेटिव हों, बल्कि स्केलेबल भी हों और कार्यान्वयन के लिए तैयार हों।

इस वृद्धि को कई कारक बढ़ावा दे रहे हैं। सस्टेनेबिलिटी पर ध्यान केंद्रित करने वाले प्रभाव निवेशक अधिक सक्रिय हो रहे हैं।

एग्रीस्टैक और इलेक्ट्रॉनिक नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट (ई-नाम) जैसे डिजिटल टूल्स सप्लाई चेन में पारदर्शिता और दक्षता में सुधार कर रहे हैं।

घरेलू और विदेशी दोनों जगहों पर भारतीय फसलों की मांग भी बढ़ रही है। इस बदलाव में तकनीक एक बड़ी भूमिका निभा रही है।

एआई-पावर्ड डेटा टूल्स से लेकर स्मार्ट सिंचाई प्रणालियों तक, इनोवेशन किसानों को संसाधनों का बेहतर उपयोग करने, उत्पादकता बढ़ाने और जलवायु संबंधी चुनौतियों से निपटने में मदद कर रहा है।

स्टडी से पता चलता है कि जैसे-जैसे इस सेक्टर में पूंजी का प्रवाह जारी रहेगा और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत होता जाएगा, एग्री-टेक भारत के अधिक सस्टेनेबल और मॉडर्न कृषि की ओर यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाएगी।

इस बीच, इस वर्ष की शुरुआत में, केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह ने कहा था कि कृषि क्षेत्र के स्टार्टअप ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका के अवसरों को बढ़ाने के लिए पारंपरिक जैविक कृषि पद्धतियों को तकनीक के साथ कुशलता से मिला रहे हैं।

--आईएएनएस

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