अर्थशास्त्रियों ने वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत रहने की सराहना की

नई दिल्ली, 30 अगस्त (आईएएनएस)। अर्थशास्त्रियों और विश्लेषकों ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की सराहना करते हुए कहा कि अप्रैल-जून में भारतीय अर्थव्यवस्था में 7.8 प्रतिशत की शानदार वृद्धि हुई है, जो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ के बावजूद पिछली पांच तिमाहियों में सबसे अधिक है।

केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) के पूर्व अध्यक्ष नजीब शाह ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस से कहा कि पहली तिमाही में भारत की जीडीपी में अभूतपूर्व 7.8 प्रतिशत की वृद्धि भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूत बुनियाद का प्रतिबिंब है।

गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के पूर्व अध्यक्ष शैलेश पटवारी ने आईएएनएस से कहा कि अमेरिकी टैरिफ को हमें चुनौती के बजाय अवसर के रूप में लेना चाहिए।

उन्होंने कहा, "हमें विश्वास है कि भारत की जीडीपी भविष्य में ऐसे ही तेजी से आगे बढ़ती रहेगी। एग्रीकल्चर, सर्विसेज और कंस्ट्रक्शन गतिविधियां में तेजी की वजह से ही जीडीपी की वृद्धि दर में अधिक बढ़त रही। अब हम केवल एक ही देश पर निर्भर रहने के बजाय दूसरे देशों में उत्पाद बेचने के लिए मार्केटिंग कर रहे हैं, जिसका फायदा मिलेगा।"

प्रोफेसर और अर्थशास्त्री बिमल अंजुम ने कहा कि अमेरिकी टैरिफ से हमारा निर्यात प्रभावित होगा लेकिन जब हम नए बाजारों को खोज लेते हैं तो यह उतना मुश्किल नहीं रह जाता है। 32 से अधिक देशों के साथ समझौते के चलते हम फायदा ले सकते हैं।

उन्होंने अपनी बात पर जोर देते हुए कहा कि अगर मान लें कि यूएस इकोनॉमी पूरी तरह से हमारा साथ छोड़ दे तो भी इसका हमारी जीडीपी पर 0.9 प्रतिशत तक ही प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि, ऐसा नहीं हो सकता क्योंकि अमेरिका में रह रहे भारतीयों को अपने ही देश की तमाम चीजें पसंद आती हैं। जो कि कुछ अधिक कीमत पर भी इन वस्तुओं को खरीद को प्राथमिकता देंगे।

इन्फोमेरिक्स रेटिंग्स के चीफ इकोनॉमिस्ट डॉ. मनोरंजन शर्मा ने आईएएनएस से कहा, "जीडीपी के आंकड़े बहुत अच्छे हैं। खासकर तब जब रूस-यूक्रेन वॉर और ट्रंप टैरिफ के बीच वैश्विक संकट की स्थिति बनी हुई है। वहीं, मिडिल ईस्ट में अनिश्चितता का माहौल है। जीडीपी के अच्छे आंकड़े आगे के लिए शुभ संकेत माने जा सकते हैं। साथ ही भारत वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में अपनी स्थिति को मजबूत करेगा। मेरा मानना है कि हम इसी तेजी से आगे बढ़ते रहे तो 2030 तक 20.7 ट्रिलियन की इकोनॉमी बन जाएंगे।"

इकोनॉमिक्स एक्सपर्ट प्रबीर कुमार सरकार ने कहा कि आरबीआई और अन्य संस्थानों द्वारा 25-26 की पहली तिमाही के लिए लगाए गए जीडीपी अनुमान को देखें तो यह मोटे तौर पर 6.5 से 6.7 था, जबकि कल एनएसओ द्वारा प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार 25-26 की पहली तिमाही के लिए जीडीपी 7.8 प्रतिशत रही है, जो बहुत ही उत्साहजनक कारक है।

उन्होंने आईएएनएस से कहा, "ये वृद्धि मूल रूप से तृतीयक क्षेत्र की वृद्धि के कारण हुई थी। तृतीयक क्षेत्र में सेवा क्षेत्र और वित्तीय क्षेत्र की वृद्धि महत्वपूर्ण थी, जो लगभग 8.8- 8.9 थी, इसलिए समग्र विकास ने जीडीपी को 7.8 प्रतिशत की ओर खींच लिया है। इस वृद्धि का नेतृत्व केंद्र सरकार द्वारा किए गए व्यय ने किया। केंद्र ने इस अवधि के दौरान 52 प्रतिशत अधिक पूंजीगत व्यय किया।"

इकोनॉमिक एक्सपर्ट सिद्धार्थ कलहंस ने कहा, "जीडीपी को लेकर हम एक राइजिंग ग्राफ बना रहे हैं और हम जीडीपी को लेकर हम आरबीआई के अनुमानों से भी बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। जहां तक बात अमेरिकी टैरिफ की है, हम एक निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था नहीं है। इसलिए टैरिफ का बहुत अधिक असर देखे जाने के संभावना कम बनती है।"

इकोनॉमिस्ट सूर्या नारायणन ने कहा, "हमें अपने निर्यात क्षेत्र में सुधार करना होगा। भारत ने पहले ही 100 देशों को कृषि उत्पादों का निर्यात शुरू कर दिया है। यही कारण है कि अमेरिका से आए इतने सारे आर्थिक झटकों के बावजूद हमारी जीडीपी व्यवस्थित रूप से बढ़ रही है।"

सीए राजीव साहू ने कहा कि सरकार द्वारा किए गए लगातार सुधारों का फायदा देश को मिलता है साथ ही, जीडीपी में नजर आता है। जीडीपी के अच्छे आंकड़े 2047 तक विकसित भारत के सपने को साकार करने की राह बनाते हैं।

--आईएएनएस

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