अमेरिका को भारत जैसे रणनीतिक साझेदार खोने का खतरा: पूर्व वाणिज्य विभाग अधिकारी (आईएएनएस साक्षात्कार)

वॉशिंगटन, 8 अगस्त (आईएएनएस)। अमेरिका के वाणिज्य विभाग में अंतरराष्ट्रीय व्यापार के पूर्व अवर सचिव और विदेश नीति मामलों के विशेषज्ञ क्रिस्टोफर पैडिला ने चेतावनी दी है कि अमेरिका और भारत के बीच जारी व्यापारिक तनाव इस रणनीतिक साझेदारी को दीर्घकालिक रूप से नुकसान पहुंचा सकता है।

क्रिस्टोफर पैडिला ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, "मुझे चिंता है कि हम अल्पकालिक मुद्दों के चलते इस महत्वपूर्ण संबंध को खतरे में डाल रहे हैं।" पैडिला ने यह भी कहा कि भारत में अमेरिका की कुछ हालिया नीतियों को लंबे समय तक याद रखा जाएगा और इससे यह सवाल उठ सकता है कि क्या अमेरिका वास्तव में एक भरोसेमंद साझेदार है।

उन्होंने कहा, "मैं जानता हूं कि भारत में मेरे सहयोगियों के साथ वर्षों के काम के दौरान यह अनुभव रहा है कि ऐसे अपमान जल्दी भुलाए नहीं जाते।"

पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के प्रशासन में सेवा दे चुके पैडिला फिलहाल ब्रंसविक नामक वैश्विक सलाहकार फर्म में वरिष्ठ सलाहकार के रूप में कार्यरत हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान संकट की जड़ें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत के कृषि और डेयरी क्षेत्र को खोलने के दबाव और भारत की स्वतंत्र विदेश नीति में दखल के प्रयासों में हैं।

पैडिला ने कहा, "भारतीय कृषि बाजार की संरचना को देखते हुए, इसमें बदलाव की मांग भारत के लिए एक मूलभूत मुद्दा है और दूसरा उसकी स्वतंत्र विदेश नीति।"

भारत के निर्यातों पर अमेरिकी टैरिफ के असर पर उन्होंने कहा, "यह दर्दनाक जरूर होगा, लेकिन भारतीय निर्यातक वैकल्पिक बाजारों की तलाश कर सकते हैं।" उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि रत्न और वस्त्र जैसे उत्पादों के लिए वैश्विक बाजार उपलब्ध हैं और भारत में बनने वाले आईफोन भी अन्य देशों में बेचे जा सकते हैं।

विदेश नीति पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि रूस के साथ भारत के रिश्ते हमेशा अमेरिका-भारत संबंधों में एक ‘अड़चन’ रहे हैं, लेकिन चीन के संदर्भ में भारत की रणनीतिक अहमियत को देखते हुए अमेरिका अब तक इसे स्वीकार करता रहा है। हालांकि, अब उस नीति में बदलाव आता दिख रहा है।

उन्होंने आश्चर्य जताया, "अमेरिका फिलहाल चीन के प्रति ज्यादा नरम रुख अपना रहा है, जबकि भारत के साथ संबंधों को नुकसान पहुंचा रहा है।"

पैडिला ने चेतावनी दी कि अमेरिका की जबरदस्ती वाली रणनीति से भारत रूस और चीन के करीब जा सकता है, हालांकि इन तीनों देशों की विदेश नीति में परस्पर विरोधाभास हैं। उन्होंने कहा, "अमेरिका के हित में नहीं है कि वह भारत जैसे देशों को मजबूर कर किसी और ध्रुव की ओर धकेले।"

भारत के साथ 2000 के दशक में हुए सिविल परमाणु समझौते और व्यापारिक वार्ताओं में शामिल रहे पैडिला ने स्पष्ट कहा कि भारत जैसे जीवंत लोकतंत्र पर दबाव की रणनीति कभी काम नहीं करने वाली। यह कोई छोटा देश नहीं है, जो अपने मूलभूत हितों पर समझौता कर ले।

--आईएएनएस

डीएससी/

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