अगले 20 वर्षों में भारत की शहरी आबादी 70 मिलियन तक बढ़ने की संभावना

नई दिल्ली, 20 जून (आईएएनएस)। भारतीय कंपनियों को नगर निगमों के साथ साझेदारी में शहरों में इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण करना चाहिए, क्योंकि अगले दो दशकों (2045 तक) में देश में शहरी आबादी 70 तक मिलियन तक बढ़ने की संभावना है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को यह बयान दिया।

राष्ट्रीय राजधानी में सीआईआई कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव डी थारा ने कहा कि भारत की आर्थिक महत्वाकांक्षाओं और इसके शहरी स्थानीय निकायों की क्षमताओं के बीच कोई जुड़ाव नहीं है, इसलिए देश के शहरी विकास में निजी क्षेत्र को सक्रिय रूप से शामिल करने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा, "भारत एक अमीर देश है, लेकिन यहां की नगरपालिकाएं गरीब हैं।"

उन्होंने कहा कि बढ़ती शहरी आबादी चुनौतियां और अवसर दोनों प्रस्तुत करती है। इससे देश में और अधिक शहरों का निर्माण होगा, इसलिए शहरी विकास के लिए व्यावहारिक दृष्टिकोण की आवश्यकता है।

वरिष्ठ अधिकारी ने आगे कहा कि मौजूदा शहरों को बेहतर बनाने के लिए जरूरी निवेश के साथ लक्षित हस्तक्षेप की आवश्यकता है।

उन्होंने बताया कि प्रस्तावित अर्बन चैलेंज फंड का उद्देश्य 25 प्रतिशत सार्वजनिक क्षेत्र की सीड फंडिंग, 50 प्रतिशत बाजार पूंजी और 25 प्रतिशत राज्य के योगदान के मिश्रण से इस परिवर्तन को गति देना है।

उन्होंने कहा, "यह नए सिरे से निर्माण करने के बारे में नहीं है, बल्कि यह पहले से मौजूद चीजों को ठीक करने के बारे में है।"

एनआईआईएफ के कार्यकारी निदेशक और मुख्य रणनीति अधिकारी प्रसाद गडकरी ने पूंजी जुटाने के लिए सक्षम ढांचों के महत्व पर जोर दिया।

उन्होंने कहा, "परियोजनाओं की एक मजबूत पाइपलाइन, पूर्वानुमानित राजस्व धाराएं और मानकीकृत बोली प्रक्रियाएं आवश्यक हैं।"

विश्व बैंक में अर्बन और लैंड के लिए प्रैक्टिस मैनेजर अबेदलराजक खलील ने कहा, "2050 तक, 800 मिलियन लोगों के भारतीय शहरों में रहने की उम्मीद है। इस कारण शहरों के विकास पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए, लेकिन कई अभी तक तैयार नहीं हैं।"

उन्होंने निजी निवेश को आकर्षित करने के लिए एकीकृत नियोजन और रहने की क्षमता की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

--आईएएनएस

एबीएस /

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