आरबीआई एमपीसी का फैसला वैश्विक स्तर पर कमजोर स्थितियों और घरेलू मजबूती के बीच एक संतुलित विराम : अर्थशास्त्री

नई दिल्ली, 6 अगस्त (आईएएनएस)। अर्थशास्त्रियों ने बुधवार को आरबीआई एमपीसी के रेपो रेट को अपरिवर्तित रखने के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह कदम प्रतिकूल भूराजनीतिक परिस्थितियों के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाए रखने में महत्वपूर्ण होगा।

इंडियन बैंक के एमडी और सीईओ बिनोद कुमार ने कहा कि आरबीआई का फैसला उम्मीदों के मुताबिक और स्वागत योग्य है।

कुमार ने कहा, "आरबीआई ने ब्याज दरों में कटौती की शुरुआत कर दी थी, इसलिए उम्मीद थी कि वह यथास्थिति बनाए रखेगा। यह एक स्वागत योग्य कदम है। हालांकि, आने वाले महीनों में इस पर पुनर्विचार की गुंजाइश है क्योंकि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) स्थिर है और विकास को गति देने के लिए प्रोत्साहन की आवश्यकता हो सकती है।"

एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विस की मुख्य अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा ने कहा, "अपने मुद्रास्फीति अनुमान को पहले के 3.7 प्रतिशत से घटाकर 3.1 प्रतिशत करने के बावजूद, आरबीआई द्वारा ब्याज दरों को स्थिर रखने का निर्णय एक साल आगे की अपेक्षित मुद्रास्फीति पर उनके ध्यान का परिणाम है, जो 4 प्रतिशत से ऊपर दिख रही है, जबकि उनके अनुसार वैश्विक अनिश्चितता के बावजूद विकास दर अच्छी बनी हुई है।"

पीएल कैपिटल के अर्थशास्त्री अर्श मोगरे का मानना है कि यह निर्णय वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भारत को मजबूत बनाए रखने में मदद करेगा।

मोगरे ने कहा, "रेपो दर को 5.50 प्रतिशत पर बनाए रखने का आरबीआई का फैसला केवल एक विवेकपूर्ण कदम नहीं था, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर कमजोर स्थितियों और घरेलू मजबूती के बीच एक संतुलित विराम था। हालांकि, मुख्य मुद्रास्फीति अभी भी सौम्य बनी हुई है और जून में की गई 50 आधार अंकों की कटौती अभी भी प्रणाली में दिखाई दे रही है, एमपीसी इस बात से पूरी तरह वाकिफ है कि टैरिफ के प्रभाव से विकास पर पड़ने वाले नकारात्मक जोखिमों का अभी पूरी तरह से आकलन नहीं किया गया है।"

आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने रेपो रेट को 5.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया है, जबकि मौद्रिक नीति का रुख तटस्थ बना रहेगा।

उन्होंने कहा कि व्यापक आर्थिक स्थिति और विकास-मुद्रास्फीति की गतिशीलता के विस्तृत आकलन के बाद एमपीसी द्वारा सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया।

आरबीआई की एमपीसी ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारत की सीपीआई मुद्रास्फीति 3.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है, क्योंकि मानसून की स्थिर प्रगति और खरीफ की मजबूत बुवाई से खाद्य कीमतों पर नियंत्रण रहने की उम्मीद है।

साथ ही, वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद, केंद्रीय बैंक ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अपना अनुमान बरकरार रखा है। बैंक को उम्मीद है कि अच्छे मानसून के कारण ग्रामीण माँग मज़बूत रहेगी और बड़ी बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं पर सरकारी खर्च से विकास को गति मिलेगी।

--आईएएनएस

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