नई दिल्ली: रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण भारत का डायमंड उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुआ है। देश में डायमंड उद्योग का प्रमुख केंद्र गुजरात का सूरत शहर है, जहां उद्योगों के ठप होने 50 हजार से ज्यादा कारीगर बेरोजगार हुए हैं। भारत का हीरा उद्योग पूरी तरह आयात पर टिका हुआ है। सूरत में 65 फीसदी रफ डायमंड का आयात सिर्फ रूस से होता है। यूक्रेन के साथ युद्ध के बाद रूस से कमोडिटी का आयात बुरी तरह प्रभावित हुआ, जिसमें हीरे का आयात भी शामिल है। युद्ध के बाद से अब तक देश में रफ डायमंड का आयात 29 फीसदी घटा है। जिससे 50 हजार से ज्यादा कारीगर बेरोजगार हुए हैं, इन कामगारों के वेतन में भी कटौती की जा रही है।
भारत हर साल रूस से करीब 75 हजार करोड़ रुपये का रफ डायमंड आयात करता है। भारतीय रत्न एवं आभूषण संवर्द्धन परिषद का कहना है कि आयात किए गए रफ डायमंड को सूरत, उत्तरी गुजरात और सौराष्ट्र में पॉलिश किया जाता है। उद्योगों के पास रफ डायमंड का पुराना स्टॉक अब खत्म हो चुका है। आयात भी लगातार घट रहा जिसमें अभी तक 29 फीसदी की कमी आ चुकी है। इसके बाद कारखाने बंद होने लगे जिससे 50 हजार से ज्यादा कारीगर बेरोजगार हुए हैं। गुजरात में हीरा तराशने और पॉलिश करने की करीब 8,000 यूनिट हैं. यहां पॉलिश हुए डायमंड अमेरिका, यूएई और हांगकांग में जाते हैं, जिसमें अमेरिका सबसे बड़ा खरीदार है। अगर सिर्फ सूरत की बात करें तो यहां रूस से आयात किए जाने वाले कुल रफ डायमंड का 65 फीसदी आता है। इसके बाद आयात में कमी आने का सबसे ज्यादा असर यहां के कारीगरों पर पड़ा है। गुजरात में दुनिया का 90 फीसदी हीरा पॉलिश अथवा तराशा जाता है। यहां से करीब 24 अरब डॉलर का हीरा निर्यात हर साल होता है, जिसमें से 40 फीसदी अमेरिका खरीदता है।
अमेरिका और जी7 देशों ने रूस से सोना आयात पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। इससे आने वाले समय में सोने की कीमतों में जबरदस्त उछाल आएगा है। वैसे रूस से सबसे ज्यादा यानी करीब 90 फीसदी सोना सिर्फ ब्रिटेन खरीदता है, जिसने मार्च में ही अपना आयात रोक दिया। एक्सपर्ट का मानना है कि जल्द ही इसका हल नहीं निकाला, तब हीरा उद्योग की तरह ही सराफा कारोबारियों पर भी रूस के संकट का असर पड़ेगा। इतना ही नहीं जी7 देशों की ओर से रूस पर नए प्रतिबंध लागू करते ही ग्लोबल मार्केट में क्रूड के दाम भी बढ़ने शुरू हो चुके है। आज दिन में ही ब्रेंट क्रूड करीब दो डॉलर चढ़कर 113 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर पहुंच गया। 30 जून को ओपेक व अन्य सहयोगी देशों की बैठक होने वाली है, जिसमें उत्पादन बढ़ाने पर सहमति न बनी तब क्रूड के दाम और महंगे हो सकते हैं।