कोलंबो: आर्थिक और राजनीतिक अस्थिरता से गुजर रहे श्रीलंका के पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे अब चारों और से घिरते नजर आ रहे हैं। एक तरफ जहां कोर्ट ने उनके देश छोड़ने पर रोक लगा दी है। वहीं दूसरी तरफ एक वकील ने अदालत से मांग की है कि वह सीआईडी को निर्देश दे कि पूर्व प्रधानमंत्री सहित सात लोगों को गिरफ्तार करे। अधिवक्ता ने आपराधिक धमकी देने और शांतिपूर्ण विरोध पर हमले के लिए उकसाने की साजिश का आरोप लगाया है। खबरों के अनुसार, कोलंबो मजिस्ट्रेट की अदालत में एक वकील द्वारा व्यक्तिगत शिकायत दर्ज कर गिरफ्तारी के लिए सीआईडी को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। ज्ञात हो कि हिंसक झड़पों के दौरान गाले में विरोध स्थल पर 100 से अधिक प्रदर्शनकारी घायल हो गए थे।
इसके बाद देश में सार्वजनिक संपत्ति को लूटने या व्यक्तिगत नुकसान पहुंचाने वाले सभी लोगों को देखते ही गोली मारने का आदेश दिया गया था। वहीं हाल ही में श्रीलंका के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने वाले महिंदा राजपक्षे को एक स्थानीय अदालत ने देश छोड़ने पर रोक लगा दी है। सूत्रों के हवाले खबर है कि महिंदा राजपक्षे के बेटे और पूर्व मंत्री नमल राजपक्षे, जॉन्सटन फर्नांडो, पवित्रा वन्नियाराची, सीबी रथनायके, सनथ निशांत और संजीव एडिरिमाने सहित अन्य पर भी यात्रा प्रतिबंध लगाया गया है। महिंदा राजपक्षे के इस्तीफे के बाद उनके खिलाफ देश में हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है, जिसके चलते महिंदा राजपक्षे और उनके परिवार के कुछ सदस्यों को त्रिंकोमाली नेवल बेस में रखा गया है।
बता दें कि श्रीलंका आजादी के बाद से सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। आम लोगों के बीच भोजन का संकट गहरा गया है, जिसके परिणामस्वरूप सरकार की स्थिति से निपटने में असफल रहने को लेकर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए हैं। मंदी का कारण कोरोना के चलते पर्यटन क्षेत्र में आई भारी गिरावट व खराब आर्थिक नीतियों को माना जा रहा है। पिछले साल श्रीलंका सरकार ने कृषि को 100 प्रतिशत ऑर्गेनिक बनाने के लिए रसायनिक उर्वरकों पर प्रतिबंध लगा दिया था।