जिनेवा: ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर अमेरिका की त्योरियां चढ़ी रहती है ऐसे में यहां राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने कहा कि उनका देश परमाणु कार्यक्रम पर अंकुश लगाने वाले समझौते को बहाल करने को लेकर ‘गंभीर’ है। लेकिन इसके साथ ही उन्होंने सवाल किया कि क्या किसी समझौते पर पहुंचने के लिए अमेरिका की प्रतिबद्धता पर भरोसा किया जा सकता है? अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ओबामा प्रशासन की मध्यस्थता से हुए समझौते से 2018 में अमेरिका को अलग कर लिया था। इसके बाद ईरान ने समझौते के तहत परमाणु संवर्धन पर लगाई गई सीमा का पालन करना छोड़ दिया। ईरानी राष्ट्रपति रईसी ने ऐसे वक्त संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया जब परमाणु समझौते को लेकर बातचीत निर्णायक चरण में पहुंच गई है।
रईसी ने कहा, हमारी एक ही इच्छा है कि प्रतिबद्धाताओं का पालन किया जाए। उन्होंने रेखांकित किया कि समझौते से अमेरिका अलग हुआ था न कि ईरान। उन्होंने सवाल किया कि क्या ईरान बिना गारंटी और आश्वासनों के इस बात पर भरोसा कर सकता है कि अमेरिका इस बार अपनी प्रतिबद्धाताओं को पूरा करेगा? यूरोपीय संघ (ईयू) के अधिकारियों ने आगाह किया है कि समझौते को बचाने का वक्त निकला जा रहा है। 2015 का यह समझौता ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर अंकुश लगाता था और इसके बदले ईरान को उस पर लगाए गए प्रतिबंधों से राहत दी गई थी। रईसी ने यह भी कहा कि ईरान की परमाणु गतिविधियों की एक तरफा जांच की जाती है जबकि अन्य राष्ट्रों के परमाणु कार्यक्रम गोपनीय रहते हैं। वह इजराइल के संदर्भ में यह बात कह रहे थे।
उन्होंने महासभा में मौजूद विश्व नेताओं से यह भी कहा कि ईरान सभी पड़ोसियों से अच्छे रिश्ते चाहता है। उनका इशारा सऊदी अरब और अन्य अरब देशों की ओर था जिनके साथ ईरान के रिश्ते अच्छे नहीं हैं। हालांकि अमेरिका में जो बाइडेन के राष्ट्रपति पद संभालने के बाद सऊदी अरब और ईरान ने कई बार सीधे बातचीत की है लेकिन दोनों देशों के बीच तनाव अब भी बना हुआ है। इस बीच संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने हाल में तेहरान स्थित अपना दूतावास फिर से खोल लिया और वहां अपना राजदूत भी भेज दिया है। रईसी ने ईरान पर लगाए गए प्रतिबंधों की भी निंदा की है। उनका कहना है कि ये ईरान के लोगों को दंडित करना है।