नई दिल्ली: राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने किंग्सटन में जमैका की संसद के दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को सम्बोधित किया। राष्ट्रपति ने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का प्रतिनिधि होने के नाते, जमैका के जीवन्त लोकतंत्र के नेताओं की गरिमामयी उपस्थिति में सदन को सम्बोधित करना उनके लिये सम्मान की बात है। उन्होंने कहा कि न सिर्फ भारतीय समुदाय और सांस्कृतिक बंधन हमारे दोनों देशों को एक-दूसरे के करीब लाते हैं, बल्कि लोकतंत्र और मुक्ति में विश्वास भी हमें एक-दूसरे से बांधता है। जमैका के संविधान का मुख्य स्तंभ यही है कि सारे नागरिक समान हैं। हमारे संस्थापक पूर्वजों ने भी इसी विश्वास को साझा किया और भारत के हर नागरिक के लिये व्यक्तिगत स्वतंत्रता की कामना की। उन लोगों ने आजादी, लोकतंत्र और उसकी आत्मा के रूप में समानता के आधार पर आधुनिक राष्ट्र की रचना की। और, ऐसा करते हुये, उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि हम ‘अनेकता में एकता’ के मूलमंत्र को हमेशा याद रखें, जो जमैका की मूलभावना ‘आउट ऑफ मैनी, वन पीपुल’ के समकक्ष है। राष्ट्रपति ने कहा कि पर्याप्त प्राकृतिक संसाधनों, रणीनीतिक स्थिति, युवा आबादी और जीवन्त नेतृत्व के आधार पर जमैका महान आर्थिक सफलता प्राप्त करने की ओर अग्रसर है। कैरीकॉम क्षेत्र में उसका नेतृत्व, अंतर्राष्ट्रीय नियम-आधारित आचरण और बड़ी जिम्मेदारियां वहन करने की उत्कंठा के कारण ही अन्य देश जमैका के साथ साझीदारी करना चाहते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि कुछ सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के पड़ोस में जमैका की रणनीतिक स्थिति और अंग्रेजी जानने वाले उसके प्रतिभाशाली युवाओं के बल पर जमैका के लिये यह शानदार अवसर है कि वह ‘ज्ञान का राजमार्ग’ बने तथा चौथी औद्योगिक क्रांति से लाभ उठाये। भारत, जमैका के विजन 2030 को साझा करता है, जिसके तहत जमैका ने अपने लोगों के सशक्तिकरण बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जहां सुरक्षित, एकीकृत और न्यायपूर्ण समाज होगा। इस तरह वह एक समृद्ध और स्थायी अर्थव्यवस्था बन जायेगा।